इसलिए बच गया ड्रगवाला ‘राजपूत’

अंडरवर्ल्ड में धन उगाही, अवैध निर्माण, फिल्मों में पैसे लगाने का सिलसिला बड़े स्तर पर कम हो गया है। ऐसे में माफिया फिर से नशे के कारोबार को बढ़ाकर अपने पैर जमाने की कोशिश में है। सूत्रों के अनुसार इससे मिले पैसों का उपयोग आतंकी दाऊद इब्राहिम का गिरोह देश में आतंक को बढ़ाने के लिए कर रहा है।

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मुंबई पुलिस के एंटी नार्कोटिक्स सेल के अधिकारी तैयार थे। उन्हें ऑपरेशन ‘बेबी’ के अंतर्गत दुबई जाना था। वहां कुछ लोगों से मिलना था और उनके बताए हुए शख्स को पकड़कर ले आना था। लेकिन तब तक विपत्ति ने ऐसा खेल किया कि सारी योजना धरी की धरी रह गई और बच गया ड्रगवाला राजपूत।

यह कहानी शुरू होती है 14 जून, 2020 को जब अभिनेता सुशांतसिंह राजपूत की मौत हो गई थी। इसकी जांच के लिए पहले मुंबई पुलिस की टीम लगी थी और उसके बाद केंद्रीय एजेंसियों ने जांच को हाथ में ले लिया। पहले सीबीआई फिर प्रवर्तन निदेशालय और उसके बाद नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने जांच का जिम्मा संभाला। इसके बाद ड्रग पैडलरों की गिरफ्तारियों, कलाकारों से पूछताछ और धीरे-धीरे सामने आया वो नाम जिसके पीछे मुंबई पुलिस की नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो लंबे समय से लगी हुई है। एनसीबी को भी उस ड्रग माफिया का नाम मिला, जिसका नाम कैलाश राजपूत है।

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ऐसे बच गया ड्रगवाला राजपूत
कैलाश राजपूत देश का सबसे बड़ा ड्रग माफिया है। सूत्रों के अनुसार वो दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस से सीधे संपर्क में है। इन्हीं संपर्कों के जरिये वो भारत में ड्रग भेजता रहा है। उसे पकड़ने के लिए जब मुंबई पुलिस ने 2019-2020 में काम शुरू किया तो कैलाश उस समय दुबई में था। उसे पकड़ने के लिए मुंबई के आईपीएस अधिकारी शिवदीप लांडे ने एक योजना बनाई थी। जिसका नाम था ‘ऑपरेशन बेबी’। ये अंडरकवर ऑपरेशन था। इसके अंतर्गत मुंबई पुलिस के अधिकारियों को सूचना दी गई थी कि उन्हें दुबई जाना है। वहां कुछ लोगों से मिलना है और वो जिसे कहेंगे उसे पकड़कर ले आना है। इस दल में लगभग 6 लोगों का समावेश था। सारी तैयारियों के बाद कोरोना का लॉकडाउन लग गया और एंटी नार्कोटिक्स सेल का ऑपरेशन बेबी अंजाम तक नहीं पहुंच पाया।

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फिर ऐसे आया एनसीबी के राडार पर…
इधर सुशांतसिंह राजपूत की मौत के बाद एनसीबी के हाथ हर सप्ताह ड्रग पैडलर, कलाकार और हाई प्रोफाइल लोग रहे थी। इसी कड़ी में नई मुंबई में पकड़े गए नाइजीरियन ड्रग पैडलरों से पूछताछ में चिंकू पठान का नाम सामने आया। जिसके बाद एनसीबी ने चिंकू को गिरफ्तार किया। उससे पूछताछ में आरिफ भुजवाला का नाम मिला। आरिफ भुजवाला के डोंगरी की इमारत में पहुंचने पर एनसीबी को ड्रग की फैक्टरी ही मिल गई। इसे आरिफ ने हाई सिक्योरिटी जोन में बदल रखा था। सीसीटीवी से पूरे क्षेत्र की निगरानी, इमारत के नीचे रिश्तेदारों की तैनाती, जिससे कोई भी इमारत में ऊपर जा ही नहीं सकता था। लेकिन एनसीबी ने इसे क्रैक कर लिया। हालांकि, तब तक आरिफ फरार हो चुका था। बाद में रायगढ़ से आरिफ को गिरफ्तार कर लिया गया और चिंकू पठान से मिले कैलाश राजपूत के कनेक्शन को आरिफ ने भी पूछताछ में पुख्ता कर दिया। उसमें ये भी साफ हो गया कि आरिफ की ड्रग फैक्टरी के पीछे कैलाश का फाइनेंस था।

 

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