Hanuman Janmotsav: CM Mamata के राज में हनुमान जन्मोत्सव मनाने के लिए जाना पड़ा हाईकोर्ट, अब रैली निकालेंगे शुभेंदु अधिकारी

न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की एकल पीठ ने 'हनुमान जन्मोत्सव समिति' को रैली आयोजित करने की इजाजत दी, लेकिन इसके साथ कई शर्तें भी लगाई हैं।

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पश्चिम बंगाल विधानसभा (West Bengal Assembly) में विपक्ष (Opposition) के नेता शुभेंदु अधिकारी (Shubhendu Adhikari) को शनिवार को कोलकाता (Kolkata) में हनुमान जन्मोत्सव (Hanuman Janmotsav) रैली निकालने की अनुमति मिल गई है। यह अनुमति कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) की एकल पीठ ने सशर्त रूप से दी है। अधिकारी ने यह याचिका कोलकाता पुलिस द्वारा रैली की अनुमति न देने के बाद दायर की थी।

न्यायमूर्ति तीर्थंकर घोष की एकल पीठ ने ‘हनुमान जन्मोत्सव समिति’ को रैली आयोजित करने की इजाजत दी, लेकिन इसके साथ कई शर्तें भी लगाई हैं। अदालत ने रैली का समय शाम पांच बजे से रात आठ बजे तक निर्धारित किया है। यह रैली कॉलेज स्ट्रीट स्थित हनुमान मंदिर से शुरू होकर उत्तर कोलकाता के हरी घोष स्ट्रीट स्थित हनुमान मंदिर पर समाप्त होगी।

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डीजे और हथियारों पर पूर्ण प्रतिबंध
अदालत ने स्पष्ट किया है कि रैली में किसी भी प्रकार के डीजे या उच्च-ध्वनि वाले साउंड सिस्टम का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। साथ ही, प्रतिभागियों को किसी भी प्रकार के धातु के हथियार या ऐसे सामान ले जाने की अनुमति नहीं होगी जिससे सामाजिक तनाव उत्पन्न हो सकता है।

भीड़ की संख्या सीमित, सुरक्षा को प्राथमिकता
कोर्ट ने रैली में अधिकतम 250 लोगों को शामिल होने की अनुमति दी है। इसके पीछे सार्वजनिक सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की प्राथमिकता को कारण बताया गया है।

धार्मिक स्वतंत्रता की जीत बता रही बीजेपी
बीजेपी नेताओं ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए इसे धार्मिक स्वतंत्रता की जीत करार दिया है। उन्होंने कहा कि नागरिकों को अपने धर्म के पालन के लिए अदालत की शरण में न जाना पड़े, यह एक लोकतांत्रिक राज्य की बुनियादी शर्त होनी चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि इसी तरह राम नवमी के अवसर पर छह अप्रैल को हावड़ा में दो शोभायात्राओं को भी अदालत के हस्तक्षेप के बाद ही अनुमति दी गई थी।

यह रैली ऐसे समय में हो रही है जब राज्य में धार्मिक आयोजनों को लेकर प्रशासन और राजनीतिक दलों के बीच तनातनी चल रही है। हाईकोर्ट के इस निर्णय को विपक्ष राज्य सरकार की ‘पक्षपातपूर्ण नीति’ पर करारा जवाब बता रहा है।

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