उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की सियासत एक बार फिर गरमा गई जब प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) ने पूर्व बसपा विधायक विनय शंकर तिवारी (Vinay Shankar Tiwari) और उनके परिवार से जुड़ी कंपनियों (Companies) पर बड़ी छापेमारी (Raids) की। सोमवार सुबह करीब नौ बजे ईडी की टीमें पूर्वांचल में तिवारी का हाता के नाम से मशहूर उनके आवास पर पहुंचीं। मामला 754 करोड़ रुपये के बैंक लोन घोटाले और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है। यह छापेमारी लखनऊ, नोएडा और मुंबई में फैले कुल आठ ठिकानों पर की गई।
ईडी की टीम ने विनय शंकर तिवारी और उनकी पारिवारिक कंपनी गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड से जुड़े दस्तावेजों और डिजिटल रिकॉर्ड की तलाश में यह छापेमारी की है। यह कंपनी अब सवालों के घेरे में है, क्योंकि इसने कथित तौर पर 14 बैंकों के कंसोर्टियम से लिए गए 754 करोड़ रुपये के लोन को हड़प लिया।
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कौन-कौन से ठिकानों पर छापेमारी की गई?
सूत्रों के अनुसार, लखनऊ स्थित मुख्य कार्यालय, नोएडा स्थित फ्लैट और मुंबई स्थित एक व्यावसायिक कार्यालय शामिल हैं। इन जगहों से ईडी को कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, कंप्यूटर हार्ड ड्राइव, लैपटॉप और मोबाइल डिवाइस मिले हैं, जिनकी फोरेंसिक जांच की जा रही है।
जानिए क्या है पूरा मामला?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गंगोत्री एंटरप्राइजेज लिमिटेड ने अपने प्रमोटरों, निदेशकों, गारंटरों के साथ मिलकर बैंक ऑफ इंडिया की अगुवाई वाले सात बैंकों के कंसोर्टियम से 1129.44 करोड़ रुपये की क्रेडिट सुविधा ली थी। फिर उन्होंने इस रकम को दूसरी कंपनियों में डायवर्ट कर दिया और बैंकों से ली गई रकम वापस नहीं की। इससे बैंकों के कंसोर्टियम को करीब 754.24 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
पहले भी हुई थी कार्रवाई
बता दें कि इससे पहले 23 फरवरी 2024 को ईडी की टीम ने एक साथ कई जगहों पर कार्रवाई की थी। इससे पहले 17 नवंबर 2023 को ईडी ने विनय शंकर और उनके परिवार की 72.08 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी।
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