देश में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें लोगों के साथ ही केंद्र व राज्य सरकारों की भी टेंशन बढ़ा रही हैं। इस बारे में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान का कहना है कि केंद्र सरकार पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी में शामिल करने की कोशश कर रही है। इसके लिए रिव्यू किया जा रहा है। लेकिन इसे जीएसटी में शामिल करना या न करना जीएसटी काउंसिल पर निर्भर है।
पिछले काफी दिनों से पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की कोशिश की जा रही है। लेकिन अभी तक सरकार को इसमें सफलता नहीं मिल पाई है। अब पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों पर केंद्र के साथ ही राज्य सरकारें भी चाौतरफा हमले झेल रही हैं। इनकी कीमतों पर नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार ने एक बार फिर इन्हें जीएसटी में लाने का प्रयास शुरु कर दिया है।
उत्पादन में कमी आने के कारण बढ़ी कीमत
पेट्रोल-डीजल की कीमत वृद्धि पर केंद्र ने कहा है कि उत्पादन में कमी आने के कारण तेल आयातक देशों को इसके लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ रही है। बता दें कि भारत अपनी जरुरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है। कच्चे तेल आयात करने के मामले में भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा देश है। प्रधान ने कहा,’हमारी सरकार ओपेक एंड ओपेक प्लस यानी तेल उत्पादक देशों के निरंतर संपर्क में है। हम उनसे कीमत कम करने की अपील कर रहे हैं। मुझे आनेवाले दिनो में तेल की कीमतों में कमी आने की उम्मीद है।’
We are consistently requesting the GST council to include petroleum products under its purview as it will benefit people. But it is their call to take: Union Petroleum Minister Dharmendra Pradhan pic.twitter.com/7ini4v3RTg
— ANI (@ANI) February 23, 2021
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केंद्र और राज्य दोनों वसूलते हैं टैक्स
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम करने के लिए कैपिटल स्टैंडिंग को भी 34 प्रतिशत तक बढ़ाया गया है। खर्च करने के लिए सरकार को पैसों की आवश्यकता होती है, इसलिए वह टैक्स कलेक्शन करती है। पेट्रोल-डीजल पर केंद्र और राज्य दोनों टैक्स वसूलते हैं। प्रधान ने बताया कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसका समाधान तलाशने में जुटी हैं। बता दें कि वर्तमान में पेट्रोल की कीमत( रिटेल रेट) में 60 फीसदी और डीजल की कीमत में 54 फीसदी तक टैक्स होता है। इस टैक्स में केंद्र और राज्य दोनों का हिस्सा होता है।