राजस्थान में फिर गहराया बिजली संकट, गांव से लेकर शहर तक ऐसा है हाल

अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग प्रक्रिया के तहत उत्तर प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों से राजस्थान में 15 मेगावाट बिजली ली जा रही है, जो मौजूदा मांग के हिसाब से कम है।

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राजस्थान में 23 दिसंबर से एक से तीन घंटे तक बिजली की कटौती शुरू हो गई। इसकी जद में गांव से लेकर शहरी इलाके व औद्योगिक क्षेत्र तक आ गए हैं। बिजली संकट से संभागीय मुख्यालयों को फिलहाल दूर रखा गया है। यानी जयपुर, जोधपुर, अजमेर, कोटा, बीकानेर, उदयपुर और भरतपुर शहर में बिजली की कटौती नहीं होगी। ऊर्जा विकास निगम की तरफ से मांग का आकलन होने के बावजूद मैनेजमेंट ठीक से नहीं किया गया, इसका नतीजा बिजली व्यवस्था में विफलता और प्रदेश में बिजली संकट से जूझ रहे प्रदेशवासियों की परेशानी के रूप में सामने आया है। मौजूदा समय में प्रदेश में विद्युत उत्पादन निगम की चार यूनिट्स ठप पड़ी हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियो की जवाबदेही अब तक तय नहीं की जा सकी है।

सुबह-शाम होगी बिजली कटौती
बिजली कटौती के तहत शहरों और गांवों में सुबह, जबकि औद्योगिक इलाकों में शाम को कटौती करने की बात कही गई है, वहीं, औद्योगिक क्षेत्रों में 125 केवीए से ज्यादा लोड वाले उद्योग शामिल हैं। जिन्हें 3 घंटे तक निर्धारित क्षमता से 50 फीसदी कम लोड पर इकाई संचालित करनी होगी। पाॅवर मैनेजमेंट फेल होने के बाद ऊर्जा विकास निगम ने कटौती का शिड्यूल जारी किया था। निगम की ओर से कहा गया है कि रबी के सीजन में खेती की वजह से मांग में अचानक वृद्धि हो गई है। इस कारण नए सिरे से शिड्यूल जारी किए गए।बताया गया है कि पांच हजार से अधिक आबादी वाले गांव में सुबह 6:30 से 7:30 तक बजे और सभी औद्योगिक इकाइयों वाले क्षेत्र, जहां 125 केवीए से ज्यादा लोड है, वहां शाम को 5 बजे से 8 बजे तक कटौती होगी।

मैनेजमेंट की चूक का परिणाम
मैनेजमेंट की चूक की वजह से बिजली कटौती के बाद प्रदेश में लगभग 14 हजार 184 बड़ी औद्योगिक इकाइयों पर इसका सीधा असर देखने को मिलेगा, जिनमें सीमेंट, टेक्सटाइल और अन्य बड़े उद्योग शामिल है। जाहिर है कि जयपुर डिस्कॉम के तहत करीब 5 हजार 423 औद्योगिक इकाइयों को इसका नुकसान भुगतना पड़ेगा। वहीं, जोधपुर डिस्कॉम में 3 हजार 169 और अजमेर डिस्कॉम 5 हजार 593 औद्योगिक इकाइयां इस कटौती के दायरे में आएगी। प्रदेश में ऊर्जा विकास निगम की जिम्मेदारी है कि वह बिजली की डिमांड का आकलन करने के बाद इसकी उपलब्धता को सुनिश्चित करें, लेकिन मौजूदा वक्त में आकलन करने के बाद भी बिजली की उपलब्धता में निगम फेल रहा है। विद्युत उत्पादन निगम से करीब 5000 मेगावाट बिजली मिलने का आकलन किया गया था, लेकिन औसतन 4440 मेगावाट बिजली ही मिल रही है। इस बीच चार यूनिट बंद होने के बाद ये आकलन सुनिश्चित नहीं किया जा सका। दूसरी कंपनियों के साथ अनुबंध से 6000 मेगावाट बिजली मिलनी थी, लेकिन इसमें भी लगातार उतार-चढ़ाव की स्थिति बनी हुई है।

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मांग के हिसाब से सप्लाई कम
इधर, अंतरराष्ट्रीय बैंकिंग प्रक्रिया के तहत उत्तर प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों से 15 मेगावाट तक बिजली ली जा रही है, जो मौजूदा मांग के हिसाब से काफी नहीं है। साथ ही सोलर पावर प्लांट से भी उम्मीद के मुताबिक बिजली नहीं मिल पा रही है। राज्य में विद्युत उत्पादन निगम की 7580 मेगावाट की 23 यूनिट है, जिनमें से चार यूनिट से 22 दिसंबर की शाम तक बिजली का उत्पादन बंद रहा। सूरतगढ़ पावर प्लांट की 250-250 मेगावाॅट यूनिट की दो इकाइयां और 660 मेगावाट की एक यूनिट बंद है तो कोटा थर्मल पावर प्लांट की 195 मेगावाट की यूनिट भी रखरखाव के कारण फिलहाल बंद पड़ी है।

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