आंखों में रोशनी,रोशनी से जिन्दगी,जिन्दगी से करियर, जी हां,जब आंखें ही सलामत नही रहेंगी तो करियर कैसे बनेगा? कोरोना संकट की इस घड़ी में देश के ज्यादातर स्कूल बन्द हैं लेकिन सरकार के दिशा-निर्देश पर बच्चों की ऑन लाइन एज्यूकेशन जारी है। शायद सरकार को यह नहीं मालूम कि इन नन्हे-मुन्ने बच्चों के स्वास्थ पर ऑन लाइन एज्यूकेशन का क्या असर पड़ेगा।
दरअस्ल स्कूल को प्रति माह फीस चाहिए और सरकार को रेवेन्यू चाहिए । माता-पिता को यह लग रहा है कि खाली बैठने से अच्छा है कि बच्चा ऑन लाइन एज्यूकेशन से कुछ तो पढ़े, लेकिन उन्हें और सरकार को यह नहीं पता कि ऑन लाइन एज्यूकेशन से बच्चों के नाजुक आंखों और गर्दन पर कितना बुरा असर पड़ रहा है। 45 मिनट लगातार मोबाइल और लैप टॉप की स्क्रीन पर देखने से उनकी आंखों में जलन और गर्दन में अकड़न व दर्द की शिकायतें आ रही हैं। जब बच्चे कई घंटे लगातार मोबाइल की स्क्रीन पर टकटकी लगाये ऑन साइन पढ़ाई करते हैं तो उनकी आंखों की रोशनी पर बुरा असर पड़ रहा है।
विद्यार्थियों ने मानी असर पड़ने की बात
9वीं कक्षा में पढ़ने वाली दृष्टि दुबे का कहना है कि ऑन लाइन क्लास अटेंड करने के बाद आंखों में जलन होने लगती है और सीधा बैठे रहने से गर्दन में अकड़न आ जाती है। इसलिए ऑन लाइन क्लास अटेंड करने के बाद आधा घंटा आराम कर ही दूसरा स्कूल वर्क करती हूं। वहीं 7वीं कक्षा मे पढ़ने वाले शशि भूषण शुक्ला का कहना है कि मोबाइल की स्क्रीन छोटी होने के कारण आंखों पर ज्यादा जोर पड़ता है और 45 मिनट लगातार बैठने से गर्दन में दर्द भी होता है। इस वजह से पढ़ाई में मन नहीं लगता और समझ में नहीं आता कि टीचर क्या पढ़ा रही हैं। हालांकि ज्यादातर विद्यार्थियों के माता -पिता को यह मालूम है कि ऑन लाइन एज्यूकेशन से बच्चों के स्वस्थ पर बुरा असर पड़ रहा है। इसके बावजूद वे इसलिए चुप हैं कि बच्चे का एक साल बर्बाद न हो जाए।
डॉक्टर की सलाह
आंख के प्रसिद्ध डॉक्टर टी.पी. लहाने का मानना है कि ऑन लाइन एज्यूकेशन में यदि लैपटॉप या मोबाइल की स्क्रीन छोटी होती है तो बच्चों के गर्दन और आंखों पर बुरा असर पड़ता है।
क्या करें- डॉक्टर लहाने के अनुसार जब बच्चे ऑन लाइन क्लास से फ्री हों तो सबसे पहले अपनी आंखों को धो लें और कोशिश करें कि उनका मोबाइल आंख से 6 सेन्टीमीटर नीचे हो और स्क्रीन बड़ा हो तो अच्छा होगा।
ऑन लाइन एज्यूकेशन के अलावा नहीं है विकल्प
राज्य की स्कूल एज्यूकेशन मन्त्री वर्षा गायकवाड मानती हैं कि ऑन लाइन एज्यूकेशन से बच्चों की सेहत पर खराब असर पड़ता है। इसलिए 45 मिनट के लेक्चर के बाद बच्चों को 15 मिनट का ब्रेक दिया जाता है, ताकि वे थोड़ा रिलेक्स हो जाएं। सरकार बच्चों का साल खराब ना हो और वे घर बैठ कर सिर्फ मस्ती करते रहने के बजाय पढ़ाई पर भी ध्यान दें, यह सोच कर सरकार ने ऑन लाइन एज्यूकेशन का विकल्प ढूंढ़ा है। जब तक कोरोना संक्रमण कंट्रोल नहीं हो जाता, हम बच्चों को लेकर कोई रिस्क नही ले सकते ।