बेस्ट ने कई कंपनियों को कुछ बस स्थानकों और बस डिपो को डेवलप कर उसके कॉमर्शियल इस्तेमाल की इजाजत दी थी। इसके लिए उन कंपमियों को बेस्ट को किराए चुकाने का करार किया गया था। लेकिन 10 वर्ष हो गए, डेवलपर्स उनका इस्तेमाल तो कर रहे हैं, लेकिन उसके किराए नहीं चुका रहे हैं। यह बकाया पिछले 10 वर्षों में बढ़कर 302 करोड़ रुपए हो गया है। एक-एक रुपए के मोहताज बेस्ट जहां बिजली के बिल नहीं भरने वाले उपभोक्ताओं की बिजली सप्लाई बंद करने जैसी कार्रवाई कर रही है, वहीं बसों में टिकट के लिए चंद पैसे कम पड़ जाने पर भी निकाल-बाहर करनेवाली बेस्ट के करोड़ों रुपए के बकाए पर किसी का ध्यान नहीं जाना हैरानी की बात है।
बैठक में किसी ने भी नहीं उठाया मुद्दा
18 मई 2017 के तत्कालीन बेस्ट समिति अध्यक्ष अनिल कोकील ने अपने कार्यालय में एक संयुक्त बैठक बुलाई थी। इस बैठक में किसी ने भी यह मुद्दा नहीं उठाया, जबकि बेस्ट उस समय भी पैसे न होने का रोना रो रही थी और भारी आर्थिक परेशानी से जूझ रही थी। तब से अब तक बेस्ट का घाटा कई गुना बढ़ गया है लेकिन इतनी बड़ी रकम में से एक रुपए की वसूली अब तक न हो पाना ताज्जुब की बात है।
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वर्ष 2010 में दी गई थी मंजूरी
बता दें कि वर्ष 2010 में छह बस डिपो को डेवलप करने और उसके कॉमर्शियल इस्तेमाल की मंजूरी दी गई थी। इसके लिए उनके साथ किराया देने का करार हुआ था। लेकिन तब से अब तक वे उनका इस्तेमाल तो करह रहे हैं लेकिन उनके भाड़ा नहीं दे रहे हैं। अब तक यह किराया कुल 302 करोड़ रुपए हो चुका है।
बीजेपी का अल्टीमेटम
भारतीय जनता पार्टी के बेस्ट समिति के सदस्य प्रकाश गंगाधरे ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा है कि इतने वर्षों तक बेस्ट प्रशासन के किसी भी अधिकारी द्वारा इस मुद्दे को नहीं उठाया जाना रहस्य की बात है। उन्होंने बस डिपो को डेवलप करनेवाली कंपनियों के सामने बेस्ट प्रशासन को नर्तमस्तक होने का आरोप लगाते हए अल्टीमेटम दे दिया है। गंगाधरे ने कहा है कि बेस्ट प्रशासन 8 दिनों में सभी डेवलपर्स कंपनियों से पैसे वसूल करे वर्ना बिजली बिल को लेकर सड़कों पर उतर चुके बीजेपी नेता व कार्यकर्ता बेस्ट समिति के अध्यक्ष और महाप्रबंधक को घर से नहीं निकलने देंगे।