गाजियाबाद के थाना लोनी बॉर्डर के पूर्व थाना प्रभारी योगेंद्र पंवार समेत 35 पुलिसकर्मियों व तीन अन्य लोगों के खिलाफ 17 जुलाई को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) के आदेश पर मुकदमा दर्ज हुआ है। दर्ज मुकदमे में आरोप लगाया गया है कि पुलिसकर्मियों ने महंत मोनू शर्मा और उनकी पत्नी दीपा के खिलाफ फर्जी मामला दर्ज कर दोनों को जेल भेजने का षड्यंत्र रचा था।
पुलिस ने महंत एवं उनकी पत्नी को फर्जी केस में जेल भेजने के मामले में एक मुकदमा दर्ज कराया गया था। उसके बाद कोर्ट ने इस केस को पलटते हुए दोषी पाए गए सभी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है।
महंत ने की थी ये मांग
न्यायालय के आदेश के बाद थाना लोनी बॉर्डर में 40 दिन बाद मुकदमा लिखा गया है। इस केस में जेल से छूटने के बाद महंत ने न्यायालय से दोषी लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी। एफआईआर में योगेंद्र पंवार, पूर्व एसओ, विभांशु तोमर उपनिरीक्षक, मलखान सिंह उपनिरीक्षक, प्रदीप शर्मा उपनिरीक्षक, अमरपाल सिंह उपनिरीक्षक, राहुल सिपाही, मुकेश सिपाही, कुलदीप सिपाही, अंकुश मलिक सिपाही, मनीष भाटी सहित 25 से 30 अज्ञात पुलिसकर्मियों को नामजद किया गया है।
महंत की पत्नी का आरोप
महंत मोनू शर्मा की पत्नी दीपा शर्मा ने कहा है कि वह और उनका परिवार लोनी बॉर्डर क्षेत्र स्थित एक मंदिर में रहते हैं। वे धर्म कर्म के कार्य करते हैं। दीपा के पति की लोकप्रियता को देखकर मनीष भाटी, बल्ली, विकास, निवासी ग्राम टीला शाहबाजपुर जलन रखते थे। ये लोग अपने को क्षेत्रीय विधायक का करीबी बताते थे। धौंस देकर महंत मोनू से दो लाख रुपये की रंगदारी मांग रहे थे। पैसे ना देने पर 6 जुलाई 2022 को तीनों व्यक्ति अपने साथ थाने से योगेंद्र यादव, मलखान सिंह आदि 25 से 30 पुलिसकर्मियों को लेकर मंदिर में घुसे और मारपीट शुरू कर दी। पुलिस ने झूठा केस बनाकर जेल भेज दिया।
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न्यायालय ने दिया था आरोपियों पर केस चलाने का आदेश
इस घटना के विरुद्ध अपील को मानते हुए न्यायालय ने आरोपी पुलिसकर्मियों पर केस चलाने के आदेश दिए। जिसके बाद मुकदमा दर्ज कर जांच शुरु कर दी गयी है। एसीपी रजनीश उपाध्याय के मताबिक मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू कर दी गयी है।