सरिस्का के जंगलों में तीन दिन से लगी आग बुझाने के लिए 29 मार्च सुबह वायुसेना के दो हेलीकॉप्टर अलवर पहुंचे। यहां शहर के केंद्रीय विद्यालय में बनाए गए हेलीपैड पर हेलीकॉप्टर उतरे। यहां प्रशासन के अधिकारियों से वायुसेना के अफसरों ने जानकारी ली।
करीब एक दर्जन वायुसेना के जवान हेलीकॉप्टर से पहुंचे हैं। एडीएम सिटी सुनीता पंकज, सरिस्का के सीसीएफ आरएन मीना, एसडीएम प्यारेलाल सुठवाल, तहसीलदार कमल पचौरी, दमकल अधिकारी अमित मीना सहित कई अधिकारी मौके पर मौजूद रहे।
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आपदा प्रबंधन से मदद की गुहार
एडीएम ने बताया कि सरिस्का में फैल रही आग के बाद अलवर जिला प्रशासन ने जयपुर आपदा प्रबंधन से मदद मांगी थी। इसके बाद आज वायुसेना के दो हेलीकॉप्टर अलवर पहुंचे हैं। इनके जरिये सरिस्का के जंगलों में लगी आग को बुझाने का प्रयास किया जा रहा है। सरिस्का के सीसीएफ ने बताया कि 27 मार्च की दोपहर को सरिस्का के जंगल में आग लगने की सूचना मिली थी। इसे काबू करने के लिए वन विभाग के कर्मचारियों ने काफी मशक्कत की लेकिन सूखे पेड़-पौधे और घास होने के कारण आग फैल गई। 28 मार्च को आग ने विकराल रूप ले लिया। सरिस्का से करीब 8 किलोमीटर जंगल में आग लगी हुई है।
ग्रामीणों के लिए जारी की गई यह सूचना
मालाखेड़ा पुलिस ने ग्रामीणों को चेतायाः सरिस्का के जंगल मे लगी आग को देखते हुए आसपास के इलाकों के ग्रामीणों को 28 मार्च रात मालाखेड़ा पुलिस ने लाउडस्पीकर के माध्यम से सूचना दी कि जंगल में आग लगने के कारण वन्य जीव-जंतु गांवों की तरफ पलायन कर सकते हैं। ऐसे में ग्रामीण रात में बाहर नहीं निकलें और सुरक्षित रहें।
बाघों को भी खतरा
आग वाले एरिया में बाघों का है विचरणः अकबरपुर रेंज में लगी आग से बाघों को भी खतरा हो रहा था। बाघ एसटी 20, एसटी 17, एसटी 14 का इसी एरिया में मूवमेंट था। चिंता की बात यह कि सरिस्का की आबादी बढ़ाने के लिए सबसे मुफीद जंगल आग से तबाह हो गया है। 27 मार्च दोपहर करीब 1 बजे सरिस्का के जंगल में नाहर शक्ति माता मंदिर के ऊपर पहाड़ों पर आग लगी थी। इसके बाद बड़ी संख्या में वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंचे और ग्रामीणों की मदद से आग बुझाने की कोशिश की।