Foam in Yamuna: यमुना में क्यों बन रहे है झाग के पहाड़? जानिये कारण और निवारण

धार्मिक मान्यता के अनुसार यमुना नदी को पूजा जाता है। उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय ग्लेशियर से यमुना नदी निकलती है। ‌दिल्ली के आस पास आते-आते यमुना नदी प्रदूषित हो जाती है।

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Foam in Yamuna: धार्मिक मान्यता के अनुसार यमुना नदी को पूजा जाता है। उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय ग्लेशियर से यमुना नदी निकलती है। ‌दिल्ली के आस पास आते-आते यमुना नदी प्रदूषित हो जाती है। प्रत्येक वर्ष यमुना में झाग की खबरें सुर्खियां बनती है। इस बार दिल्ली बीजेपी ने प्रदूषित यमुना के लिए दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को प्रदूषित यमुना में स्नान करने की चुनौती दे डाली , हालांकि वो तो पहुंचे नहीं लेकिन यमुना के पानी में दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने डुबकी लगाई तो उनको त्वचा का रोग हो गया।

 महापर्व छठ को लेकर चिंता
दिल्ली में यमुना नदी के कुछ हिस्सों में फिर से सफेद झाग की मोटी परत जम गई है, जिससे लोगों के स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो रहा है । खास तौर पर त्योहारों के मौसम के नजदीक आने पर यह दोहरी मार पड़ रही है । इस वर्ष 5 नवंबर को मनाए जाने वाली छठ पूजा के लिए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के श्रद्धालुओं को नदी में डुबकी लगानी होती है, लेकिन यमुना नदी में झाग बनने की स्थिति के कारण अब इसमें बाधा आ रही है।

यमुना की सफाई पर हजारों करोड़ खर्च
यमुना एक्शन प्लान नामक नदी पुनरुद्धार कार्यक्रम की शुरुआत वर्ष 1993 में भारत और जापान के बीच द्विपक्षीय परियोजना के रूप शुरू किया गया था । केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के लिए वर्ष 2012-13 की अपनी रिपोर्ट में पर्यावरण और वन संबंधी संसदीय समिति ने कहा था कि यमुना को साफ करने का मिशन विफल हो गया है। केंद्र सरकार के प्रमुख कार्यक्रम नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत पिछले कुछ वर्षों में यमुना की सफाई पर हजारों करोड रुपए खर्च किए गए।सीवेज और वेस्टेज ट्रीटमेंट प्लांट , हरित तकनीक स्थापित करने की योजना तेजी से आगे नहीं बढ़ रही है । यमुना नदी का विभिन्न तरीकों से दुरुपयोग किया जा रहा है । जिसमें धार्मिक सामग्रियों को अक्सर प्लास्टिक की थैलियां में फेंक दिया जाता है । गंदे नाले भी यमुना में गिर रहे हैं ।

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यमुना नदी की सफाई संभव
यमुना नदी की सफाई अब एक चुनौती बन गई है। चुनौतियों के बावजूद नदी की सफाई संभव है । लेकिन इसके लिए भ्रष्टाचार पर नकेल कसनी होगी और नौकरशाही की जवाबदेही तय करनी होगी । सबसे पहले प्रदूषक तत्वों को यमुना नदी में प्रवेश करने से रोकना और पानी का न्यूनतम प्रवाह बनाए रखना होगा।

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