देश में पिछले कई सालों से ईवीएम से चुनाव कराए जा रहे हैं। इसके बावजूद इसकी दक्षता पर सवाल उठाए जाते हैं, हालांकि सरकार और चुनाव आयोग इन सवालों को बेबुनियाद होने का हमेशा से दावा करते रहे हैं। बिहार ग्राम पंचायत के चुनाव ईवीएम से कराए जाने को लेकर मामला पटना उच्च न्यायालय में है। इस बीच देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त डॉ. एस.वाई कुरैशी ने कहा है कि देश में चुनाव कराने के लिए ईवीएम से बेहतर दूसरा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने इसे पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष बताया है।
डॉ. कुरैशी ने चुनाव सुधार और लोकतंत्र विषय पर अपने विचार में कहा कि विश्व के कई देशों में भारत की ईवीएम का उपयोग किया जाता है। कहीं से कोई शिकायत नहीं आती।
गड़बड़ी संभव नहीं
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनावों से पहले कई स्तर पर उसकी जांच की जाती है। इसके बाद मतदान शुरू होने से पहले इसे पोलिंग एजेंटों के समक्ष सील किया जाता है। इसके साथ ही मतों की गिनती शुरू होने से पहले भी ईवीएम को दिखाया जाता है। इतनी सावधनी के बाद इसमें किसी भी तरह की गड़बड़ी का सवाल ही नहीं उठता।
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चुनाव प्रणाली लोकतंत्र की लाइफलाइन
डॉ. कुरैशी ने कहा कि जो लोग चुनाव में हार जाते हैं, वही इसकी दक्षता पर सवाल उठाते हैं। पूर्व चुनाव आयुक्त ने दावा किया कि भारत का चुनाव आयोग दुनिया का सबसे ताकतवर चुनाव आयोग है। इसके साथ ही भारतीय लोकतंत्र को विश्व का सबसे अच्छी शासन प्रणाली माना जाता है। डॉ. कुरैशी ने कहा कि विश्वसनीय चुनाव प्रणाली लोकतंत्र की लाइफलाइन होती है। उन्होंने कहा कि जब देश आगे बढ़ता है तो कई तरह के बदलाव की जरुरतें पड़ती हैं। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान धन और बल का इस्तेमाल दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन देश में न्यायपालिका ने हमेशा से लोकतंत्र के संरक्षण मे काम किया है।
महिलाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण
पूर्व मुख्य चुनाव आयोग ने कहा कि देश में पिछले कई वर्षों से चुनाव आयोग काम कर रहा है। चुनाव में प्रत्येक वोट का महत्व है। देश में महिलाओं की संख्या पुरुषों की संख्या से भले ही कम है लेकिन मतदान में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की भागीदारी ज्यादा होती है।