फरार चल रहे मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। सरकार ने उनके खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए मुंबई उच्च न्यायालय में शपथ पत्र दायर किया है। पत्र में कहा गया है कि सरकार पुलिस को परमबीर सिंह को गिरफ्तार करने के निर्देश दे सकती है।
पुलिस निरीक्षक भीमराव घाडगे द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के अनुसार, परमबीर सिंह पर एट्रोसिटी एक्ट और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। सिंह ने इसे रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की है।
सरकार ने कही ये बात
सिंह की याचिका पर 20 अक्टूबर को सुनवाई हुई। न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायाधीश सारंग कोतवाल की पीठ के समक्ष इस मामले की सुनवाई हुई। राज्य सरकार की ओर से बहस करते हुए पीठ के सामने पेश हुए एड. डी. खंबाटा ने कहा कि अब स्थिति बदल गई है। एट्रोसिटी एक्ट के तहत, एक आरोपी और लापता आईपीएस अधिकारी को कठोर कार्रवाई से सुरक्षा की गारंटी नहीं दी जा सकती है। परमबीर सिंह लापता हैं और राज्य सरकार अपने पहले के वादों को पूरा नहीं करना चाहती है।
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परमबीर सिंह पर फिरौती के 4 आरोप
सिंह के वकील महेश जेठमलानी ने उनका पक्ष रखते हुए कहा कि परमबीर सिंह को अभी तक भगोड़ा घोषित नहीं किया गया है। उन्हें इस मामले में दो बार तलब किया जा चुका है और उन्होंने समन का जवाब दिया है। फिलहाल मामले की सुनवाई अगले हफ्ते होगी। सिंह के खिलाफ ठाणे और मुंबई में फिरौती के कम से कम चार मामले दर्ज किए गए हैं। हालांकि, सिंह ने अपनी याचिका में कहा है ये सभी मामले उनके द्वारा पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोप के कारण दर्ज किए गए हैं।