सर्वोच्च न्यायालय ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया को 2021 में बम से उड़ाने की साजिश रचने और व्यवसायी मनसुख हिरेन की हत्या के आरोपित और पूर्व पुलिस अधिकारी प्रदीप शर्मा को राहत दी है। जस्टिस अनिरुद्ध बोस की अध्यक्षता वाली अवकाशकालीन बेंच ने प्रदीप शर्मा को छह हफ्ते की अंतरिम जमानत दी है।
की थी मानवीय आधार पर अंतरिम जमानत देने की मांग
सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदीप शर्मा को बीमार पत्नी से मिलने के लिए अंतरिम जमानत दी है। 29 मई को कोर्ट ने अंतरिम जमानत के लिए अलग से अर्जी दाखिल करने की मांग स्वीकार कर ली थी। प्रदीप शर्मा की ओर से कहा गया कि इस मामले में वे दो सालों से जेल में बंद हैं। याचिकाकर्ता की पत्नी का 2015 में गैस्ट्रिक बाइपास सर्जरी के लिए ऑपरेशन किया गया था। अभी उनको गंभीर समस्या है। उनका वजन 6 किलो कम हो गया है। शर्मा की ओर से मानवीय आधार पर अंतरिम जमानत देने की मांग की गई।
न्यायालय ने दिया था ये निर्देश
सुनवाई के दौरान एएसजी एसवी राजू ने कहा कि प्रदीप शर्मा की पत्नी नियमित रूप से अस्पताल में उनसे मिलने आती रही हैं। मेरे पास इसका रिकॉर्ड भी है। तब कोर्ट ने पूछा कि अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की मांग वाली अर्जी में आप अंतरिम जमानत कैसे ले सकते हैं। आपकी अर्जी में अंतरिम जमानत के लिए कोई प्रार्थना नहीं है। कोर्ट ने कहा कि आप अंतरिम जमानत के लिए उचित आवेदन दाखिल करें।
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने याचिका कर दी थी खारिज
दरअसल 23 जनवरी को बांबे उच्च न्यायालय ने शर्मा की जमानत याचिका खारिज कर दी थी, जिसको उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। प्रदीप शर्मा को मुंबई की स्पेशल एनआईए कोर्ट भी जमानत देने से इनकार कर चुका है, जिसको बांबे हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
यह है आरोप
मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया को फरवरी 2021 में बम से उड़ाने की घटना की जांच कर रही एनआईए का आरोप है कि प्रदीप शर्मा उस गिरोह के सक्रिय सदस्य थे, जिसने अंबानी सहित अन्य को डराने की साजिश रची थी। एनआईए के मुताबिक शर्मा ही हिरेन की हत्या में मुख्य साजिशकर्ता थे। उन्होंने हिरेन की हत्या करने में अपने पूर्व सहयोगी सचिन वाझे की मदद की थी। इस मामले में उन्हें जून 2021 में गिरफ्तार किया गया था। फिलहाल वह जेल में बंद हैं।