रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के पूर्व निदेशक (Former RAW Director) कर्नल आरएसएन सिंह (रवि शेखर नारायण सिंह) की नवीनतम पुस्तक ‘भारत के अंदरूनी शत्रु’ (Bharat ke Andruni Shatru) राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर देश विरोधी ताकतों का बड़ी बेबाकी से विश्लेषण करती है। किताब में बताया गया है कि भारत देश तो सुरक्षित है, लेकिन भारत राष्ट्र अंदर से कमजोर हो रहा है। भारत राष्ट्र को चुनौतियां उन विचारधाराओं से मिल रही हैं, जो कि विदेशी मिट्टी में पैदा हुईं और दुनियाभर में अपना जहर फैला रही हैं। भारत राष्ट्र की सनातन संस्कृति, इन विचारधाराओं से लगातार जूझ रही है। इन विचारधाराओं को ही हमें, भारत राष्ट्र का शत्रु समझना चाहिए।
अपनानी होगी आक्रामक बचाव पद्धति
कर्नल आरएसएन सिंह (Colonel RSN Singh) का मानना है कि सनातन अनंत है, इसलिए यह विस्तारवाद में विश्वास नहीं रखता। परन्तु सनातन, आत्मरक्षा या बचाव अवश्य निर्धारित करता है, वह भी आक्रामक-बचाव (offensive-defence) की पद्धति से। बिना आक्रामक-बचाव के ना तो राष्ट्र की सुरक्षा (National Security) हो सकती है और ना ही राष्ट्र का निर्माण हो सकता है। श्रीराम और लक्ष्मण ने ताड़का, सुबाहु और मारीच जैसे राक्षसों का वध इसलिए किया, क्योंकि वे उन ऋषियों को आतंकित कर रहे थे जो शिक्षा और अनुसन्धान के द्वारा राष्ट्र निर्माण में जुटे हुए थे। यह पुस्तक आज के उन राक्षसों को उजागर करती है, जो कि देश को निशाना बना रहे हैं। गत एक-दो दशकों में भारत को जिहादवाद, माओवाद, खालिस्तानियों और चर्च के प्रभाव ने कैसे प्रभावित किया है, इसका विस्तारपूर्वक चित्रण आरएसएन सिंह की यह किताब करती है।
42 चैप्टर्स में अंदरुनी शत्रुओं की तस्वीर
इस किताब में कुल 42 चैप्टर हैं। प्रत्येक चैप्टर राष्ट्र के खतरों को विश्लेषित करता है। ‘भारत के अंदरूनी शत्रु’ के पहले चैप्टर ‘भारत सनातनियों के लिए अंतिम विकल्प’ शीर्षक से कर्नल सिंह सभी सनातनियों को सचेत करते दिखते हैं। पुस्तक के अन्य चैप्टर्स – उपमहाद्वीप में सभ्यताओं का टकराव, भारत में वैश्विक जिहाद, पवित्र ग्रंथ राजनीति और युद्ध, राष्ट्रीय सुरक्षा पर राजनीति का हमला, 370 हटा, काली घटा छटी, माओवाद का सिर कुचलना जरूरी, राजनेताओं और आतंकियों का गठजोड़, चर्च और खालिस्तान, चर्च, चीन, अफीम औऱ मणिपुर, आतंक के साये में त्रिशूल, जिहादियों के खिलाफ युद्ध में औरतें , नूंह में जिहाद हिंसा संस्कृति का संघर्ष, पवित्र रमजान और पवित्र पत्थरबाजी, एक ठग राजनेता और भारत का सबसे बड़ा घोटाला (अरविंद केजरीवाल पर) और हत्या की राजनीति आदि जैसे चैप्टर्स से आरएसएन सिंह राष्ट्र के समक्ष सिर उठा रहे खतरों पर प्रकाश डालते हैं।
भारत के अंदरूनी शत्रुओं का पर्दाफाश करती पुस्तक
रॉ के पूर्व निदेशक कर्नल आरएसएन सिंह की किताब ‘भारत के अंदरूनी शत्रु’ हर राष्ट्रवादी भारतीय को पढ़नी चाहिए। यह किताब हमारे आसपास के छद्म दुश्मनों को बेनकाब करती है, जो किसी ना किसी ओट से अपने छुपे एंजेंडे को आगे बढ़ाने में लगे हुए हैं। सिंह की यह किताब ‘भारत के अंदरूनी शत्रु’ भारत देश की आड़ में, भारत राष्ट्र को कमजोर करने वाले तत्वों का ना केवल पर्दाफाश करती है, अपितु भारत राष्ट्र के समक्ष भविष्य की संभावित खतरों के प्रति सचेत होने का नजरिया भी देती है।
1982 में भारतीय सेना से जुड़े आरएसएन सिंह
राष्ट्रीय मिलिट्री कॉलेज और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से स्नातक आर.एस.एन. सिंह दिसम्बर 1982 में भारतीय सेना (5वीं बटालियन, बिहार रेजिमेंट) में कमीशन हुए। उन्हें नियंत्रण रेखा, दरबूक और सियाचिन में सेवाएं देने का सौभाग्य प्राप्त है। वे वेलिंगटन के डिफेंस सर्विसेस स्टॉफ कॉलेज से भी स्नातक हैं। उन्होंने मिलिट्री इंटेलिजेन्स (MI) और बाद में रिसर्च एण्ड एनालिसिस विंग (R&AW) में अपने कार्यकाल के दौरान सैन्य और रणनीतिक विश्लेषण किया।
विषय विशेषज्ञ के रूप में भागीदारी
कर्नल सिंह छह सालों से अधिक समय तक Indian Defence Review (IDR) के एसोसिएट एडिटर भी रहे । वे रणनीतिक, भूराजनीतिक और आंतरिक सुरक्षा से सम्बन्धित मुद्दों पर, टेलीविज़न चैनलों के विभिन्न कार्यक्रमों में नियमित रूप से एक विशेषज्ञ के रूप में शामिल होते रहे हैं।
प्रकाशित पुस्तकें
वे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित पुस्तकों, ‘Asiam Strategy and Military Perspective, *The Military Factor in Pakistan’, ‘The Unmaking of Nepal, The Making of an Officer, ‘Know the Anti-Nationals’ (English/Hindi) and ‘The Jihadis Plus’ के लेखक हैं।
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