नैनीताल की रीतिका सहित चार भारतीय खगोल वैज्ञानिकों को दक्षिण कोरिया में मिले पुरस्कार

भारतीय पीएचडी के तीन छात्रों ने ‘पीएचडी एट-लार्ज’ पुरस्कार मिले जबकि चौथे को ‘डिवीजन-ई (सन एंड हेलिओस्फीयर)’ में पीएचडी पुरस्कार मिला।

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नैनीताल सहित देश के भौतिकविदों और खगोलविदों ने दक्षिण कोरिया के बुसान शहर में 2 से 11 अगस्त के बीच आयोजित अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन-आईएयू) के कार्यक्रम में शानदार प्रदर्शन किया।

दुनिया की सबसे बड़ी और हर तीन साल में आयोजित होने वाली खगोल विज्ञान बैठक कही जाने वाली आईएयू की महासभा में भारतीय पीएचडी के तीन छात्रों ने ‘पीएचडी एट-लार्ज’ पुरस्कार जबकि चौथे को ‘डिवीजन-ई (सन एंड हेलिओस्फीयर)’ में पीएचडी पुरस्कार मिला।

कोविड महामारी के कारण 2018 के बाद एक साल की देरी से आयोजित हुए इस कार्यक्रम में कुमाऊं विश्वविद्यालय और एरीज यानी आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज नैनीताल की रीतिका जोशी ने सूर्य के क्रोमोस्फीयर (दिखने वाली सतह के ऊपर मौजूद वायुमंडलीय परत) में प्लाज्मा जेट और अन्य प्रकार की ऊर्जा फ्लेयर्स के अवलोकन पर अपने कार्य के लिए साल 2021 के लिए यह पुरस्कार जीता।

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इनके अलावा भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलुरु के गोपाल हाजरा, भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान कोलकाता से जुड़ी प्रांतिका भौमिक, बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स से एमटेक और ओस्लो विश्वविद्यालय से पीएचडी करने वाले सौविक बोस को भी पुरस्कार मिले हैं। इसमें बताया गया है कि विशालकाय मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (पुणे), भारतीय खगोलीय वेधशाला (हनले), देवस्थल ऑप्टिकल टेलीस्कोप (नैनीताल), और कोडाईकनाल और उदयपुर स्थित सौर वेधशालाओं को इस दौरान भारतीय पवेलियन में प्रदर्शित किया गया।

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