भारतीय बैंकों के नौ हजार करोड़ रुपए का गबन करनेवाले विजय माल्या को चार महीने की जेल और दो हजार रुपए का अर्थ दंड सुनाया गया है। माल्या को 2017 में ही सुप्रीम कोर्ट ने पैसों के लेन-देन की झूठी जानकारी देने के लिए अपनी अवमानना का दोषी करार दिया था। पांच साल तक सजा पर चर्चा के लिए न तो माल्या पेश हुआ, न उसकी तरफ से कोई वकील आया। इसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया है।
इस तरह चली मामले की सुनवाई
10 मार्च को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 10 फरवरी को कोर्ट ने विजय माल्या को अपना पक्ष रखने के लिए अंतिम मौका दिया था। 24 जनवरी को कोर्ट ने कहा था कि दोषी का प्रत्यर्पण हो या नहीं, सजा पर फैसले के लिए और इंतजार नहीं होगा। दोषी अपने वकील के माध्यम से पक्ष रख सकता है। कोर्ट ने कोर्ट की मदद करने के लिए वरिष्ठ वकील जयदीप गुप्ता को एमिकस नियुक्त किया था। सुनवाई के दौरान विदेश मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या के प्रत्यर्पण की कार्यवाही अंतिम चरण में है।
विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका कर दी गई थी खारिज
31 अगस्त 2020 को अवमानना के मामले में दोषी करार देने के फैसले के खिलाफ विजय माल्या की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी गई थी । कोर्ट ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को विजय माल्या की उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 9 मई, 2017 को डिएगो डील के 40 मिलियन डॉलर बच्चों के अकाउंट में ट्रांसफर करने और सम्पत्ति का ब्यौरा न देने के लिए दोषी माना था। विजय माल्या ने सुप्रीम कोर्ट में इसी फैसले की समीक्षा की मांग करते हुए रिव्यू पिटीशन दायर की थी।
9000 करोड़ का घोटालेबाज
लंदन में रह रहा विजय माल्या को 9000 करोड़ के बैंक घोटाले में भारतीय एजेंसियों द्वारा भगोड़ा घोषित किया गया है। जांच एजेंसियों की कोशिश उसे भारत लाने की है। लेकिन इसमें उसे अभी तक अधिक सफलता नहीं मिली है। हालांकि भारत में उसके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है और अब तक कई संपत्तियों को जब्त कर नीलाम किया गया है। इससे प्राप्त 5 हजार करोड़ से अधिख रकम बैंकों को वापस दी गई है।