न्याय संगत और सतत विकास के लिए गहन एजेंडे के साथ आगे बढ़ें जी-20 देश

दुनिया जलवायु परिवर्तन और घटते प्राकृतिक संसाधनों की चुनौतियों से जूझ रही है, इसलिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का कुशलतापूर्वक दोहन करना अनिवार्य हो जाता है। जी-20 सदस्यों को अपने शून्य उत्सर्जन लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए और सतत विकास और नवीकरणीय ऊर्जा पर काम करना जारी रखना चाहिए।

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केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज जी-20 सदस्य देशों से दुनिया के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए “मतभेदों से ऊपर उठते हुए” वैश्विक कल्याण के लिए उत्तरदायी एक परिवार की भावना के साथ कार्य करने का आग्रह किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने मुंबई में जी-20 अनुसंधान मंत्रियों की बैठक में अपने स्वागत संबोधन में कहा कि भारत वर्तमान समय की जटिल चुनौतियों से निपटने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग और ज्ञान साझा करने के महत्व को समझता है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समय-समय पर हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर इस बात को दोहराते रहे हैं। डॉ. जितेंद्र सिंह ने नवाचार की संस्कृति, सतत विकास को बढ़ावा देने और सभी के लिए समृद्ध भविष्य सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक ज्ञान, विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठाने का आह्वान किया। डॉ. जितेंद्र सिंह ने जी-20 देशों से समावेशी, न्यायसंगत और सतत विकास के लिए गहन एजेंडे के साथ आगे बढ़ने का आग्रह किया।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि दुनिया जलवायु परिवर्तन और घटते प्राकृतिक संसाधनों की चुनौतियों से जूझ रही है, इसलिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का कुशलतापूर्वक दोहन करना अनिवार्य हो जाता है। जी-20 सदस्यों को अपने शून्य उत्सर्जन लक्ष्यों के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए और सतत विकास और नवीकरणीय ऊर्जा पर काम करना जारी रखना चाहिए। डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि दुनिया ने हाल के वर्षों में सौर और पवन ऊर्जा प्रतिष्ठानों में पर्याप्त वृद्धि दर्ज की है। उन्होंने कहा कि हमारे वैज्ञानिक ऐसी सामग्रियों की खोज और निर्माण के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं जो ऊर्जा क्षेत्र में क्रांति ला सकती हैं, इसे स्वच्छ, अधिक किफायती और सभी के लिए सुलभ बना सकती हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि जी-20 समूह के पास चक्रवात, सुनामी, भूस्खलन, जंगल की आग जैसी विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के पूर्वानुमानों और निगरानी करने के लिए उन्नत अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियां हैं और यह अंतरिक्ष प्रौद्योगिकियां संचार में भी बहुत मदद करती हैं। उन्होंने इन प्रौद्योगिकियों के उत्पादों को जी-20 के बाहर के देशों के साथ भी साझा करने की आवश्यकता को रेखांकित किया, ताकि वह भी ऐसी आपदाओं के खिलाफ स्वयं को बेहतर ढंग से तैयार कर सकें।

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