जी-20 सतत वित्त कार्यसमूह की चौथी बैठक वाराणसी में शुरू, 80 से अधिक प्रतिनिधि हैं शामिल

जी-20 सस्टेनेबल फाइनेंस वर्किंग ग्रुप समिट के चौथे सत्र में प्रतिनिधि G-20 सस्टेनेबल फाइनेंस रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के पहले क्रिप्टो करेंसी से आई व्यापक आर्थिक और वित्तीय चुनौतियों से निपटने की रणनीति पर मंथन कर रहे हैं।

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भारत की अध्यक्षता के तहत जी-20 सतत वित्त कार्यसमूह (G-20 Sustainable Finance Working Group)की चौथी बैठक वाराणसी में 13 सितंबर से शुरू हो गई। दो दिवसीय बैठक में जी-20 सदस्य देशों, विशेष आमंत्रित देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के 80 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। नदेसर स्थित होटल ताज में आयोजित बैठक में गुवाहाटी, उदयपुर और महाबलीपुरम में आयोजित पहली, दूसरी ओर तीसरी बैठक से आगे की चर्चा हो रही है।

वित्तीय चुनौतियों से निपटने पर हो रहा मंथन
जी-20 सस्टेनेबल फाइनेंस वर्किंग ग्रुप समिट के चौथे सत्र में प्रतिनिधि G-20 सस्टेनेबल फाइनेंस रिपोर्ट को अंतिम रूप देने के पहले क्रिप्टो करेंसी से आई व्यापक आर्थिक और वित्तीय चुनौतियों से निपटने की रणनीति पर मंथन कर रहे हैं। “वसुधैव कुटुंबकम” या एक पृथ्वी, एक परिवार., एक भविष्य’ थीम पर 20 सस्टेनेबल फाइनेंस रोडमैप में सूचीबद्ध कार्यों के क्षेत्राधिकार, आईओ और संबंधित हितधारकों द्वारा की गई प्रगति पर भी दो दिन चर्चा होगी।

पेरिस समझौते और 2030 एजेंडा में तेजी लाने का प्रस्ताव
भारत की जी-20 अध्यक्षता में एसएफडब्ल्यूजी का मुख्य उद्देश्य निजी और सार्वजनिक टिकाऊ वित्त को बढ़ाने में मदद, सतत विकास के लिए पेरिस समझौते और 2030 एजेंडा के कार्यान्वयन में तेजी लाने का प्रस्ताव भी पास होगा। कार्य समूह की सह-अध्यक्षता अमेरिका और चीन कर रहा है और यूएनडीपी सचिवालय के रूप में सभी प्रस्तावों को रख रहा है। इटली, यूरोप, ब्राजील, फ्रांस, जापान, रसिया और सिंगापुर डेलीगेट्स ने अपना प्रस्ताव प्रेसीडेंट टेबल पर रखे। इस बैठक में पूरे दो दिन जी-20 सदस्यों और आईओ विचारों का आदान-प्रदान और अनुभवों को साझा करेंगे। इनको संयुक्त रूप से अपनाने के लिए सहमति भी बनेगी और साझा रिपोर्ट जारी की जाएगी।

तीन प्राथमिकताओं की घोषणा के साथ चर्चा
भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत सतत वित्त कार्यसमूह के लिए तीन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की रूपरेखा तैयार की गई है। इसमें क्लाइमेट फाइनेंस के लिए समय पर और पर्याप्त संसाधन जुटाने के लिए तंत्र तैयार करना, सतत विकास लक्ष्यों के लिए वित्त सक्षम करना और सतत विकास की दिशा में वित्तपोषण के लिए पारिस्थितिकी तंत्र की क्षमता निर्माण शामिल है।

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