संकटग्रस्त गो फर्स्ट एयरलाइन्स (Go First Airlines) ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल से कई अंतरिम निर्देश मांगे हैं। फर्स्ट एयरलाइन्स की याचिका में पट्टेदारों को विमान वापस लेने से रोकना और विमानन सेना नियामक डीजीसीए को एयरलाइन के विरुद्ध कोई प्रतिकूल कार्रवाई करने से रोकना शामिल है।
वाडिया समूह के स्वामित्व वाली गो फर्स्ट एयरलाइन (Go First Airlines) पर 11,463 करोड़ रुपये की देनदारी है। गो फर्स्ट एयरलाइन्स ने स्वैच्छिक दिवालिया समाधान कार्यवाही की मांग की है। गो फर्स्ट ने 3 मई से अगले तीन दिनों के लिए अपनी सभी उड़ानें रद्द कर दी हैं।
राहत की मांग
अपनी दूसरी याचिका में डीजीसीए, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) और निजी हवाईअड्डा संचालक को एयरलाइन को आबंटित प्रस्थान और पार्किंग स्लॉट को रद्द न करने की गई है। एयरलाइन यह भी चाहती है कि ईंधन आपूर्तिकर्ता विमान संचालन के लिए आपूर्ति जारी रखें।
17 वर्ष पुरानी एयरलाइन
गो फर्स्ट एयरलाइन (GoFirst Airlines) ने 17 साल पहले उड़ान भरना शुरू किया था। एयरलाइन ने कहा है कि प्रैट एंड व्हिटनी द्वारा इंजनों की आपूर्ति न करने के कारण उसके आधे से अधिक बेड़े को जमींदोज कर दिया गया है, जिससे यह स्थिति पैदा हुई है। एयरलाइन पर कुल देनदारी 11,463 करोड़ रुपये है। इसमें वह 3,856 करोड़ रुपये की राशि भी शामिल है, जिसे उसने परिचालन लेनदारों को चुकाने में चूक की है। विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियों का बकाया 2,600 करोड़ रुपये है।
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