Google AI : मदद या मौत ? जिम्मेदार कौन ?

सोशल मीडिया में जंगल की आग की तरह फैली घटनाओं ने लोगों को खुद से पूछने पर मजबूर कर दिया है कि तकनीक की मदद वरदान बनेगी या अभिशाप साबित होगी?

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कोमल यादव
Google AI : आजकल लोगों ने AI (Artificial Intelligence) पर इतना भरोसा कर लिया है कि उन्होंने अपने जीवन जीने के पारंपरिक तरीकों को पीछे छोड़ दिया है। चाहे सुबह उठना हो और एलेक्सा (Alexa) से अपने काम करवाना हो या जॉब इंटरव्यू की तैयारी करते समय AI Chatbot से अपना बायोडाटा बनाने में मदद मांगना हो। बिना सोचे-समझे हम अपना काम करने के लिए तकनीक की ओर देखते हैं। ऐसा क्यों है? क्या आपने कभी सोचा है?
ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रगतिशील समाज के नाम पर हम समाज के मूल सिद्धांत को भूल गए हैं कि इस दुनिया में हर चीज़ की अपनी सीमा होती है और जब आप जानबूझकर अपने लाभ के लिए इसका हद से ज्यादा इस्तेमाल करने लगते हैं। तब यह परेशानी का कारण बन जाती है। हाल ही में सोशल मीडिया (Social Media) में जंगल की आग की तरह फैली घटनाओं ने लोगों को खुद से पूछने पर मजबूर कर दिया है कि तकनीक की मदद वरदान बनेगी या अभिशाप साबित होगी? आपको इस पर विश्वास नहीं होता? तो प्रमाण देख लीजिए।
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मौत के रास्ते पर ले गया गूगल मैप ! 

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बरेली (Bareilly) में एक दर्दनाक हादसा हुआ, जहां गूगल मैप (Google Map) के जीपीएस (GPS) सिस्टम के सहारे सफर कर रही एक कार पुल से नीचे गिर गई। हादसे में शादी समारोह में जा रहे तीन दोस्तों की मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि यह दुर्घटना जीपीएस सिस्टम की गलत दिशा-निर्देश और पुल की असुरक्षित स्थिति के कारण हुई। परिवार का दावा है कि एक तरफ प्रशासन ने कोई चेतावनी संकेत नहीं लगाया, वहीं दूसरी तरफ तीनों युवक पूरी तरह जीपीएस पर निर्भर थे और यही उनकी जान जाने का कारण बना। यह हादसा प्रशासन पर लापरवाही के साथ -साथ जीपीएस पर अतिविश्वास का एक बेहतरीन उदहारण है।
कॉलेज असाइनमेंट में मांगी थी मदद
एक रिपोर्ट के अनुसार 29 वर्षीय कॉलेज स्टूडेंट विधय रेड्डी ने जेमिनी (Gemini) का इस्तेमाल अपने होमवर्क में मदद के लिए किया, लेकिन जो जवाब उसे मिला, उसने न केवल उसे डरा दिया बल्कि AI तकनीक के इस्तेमाल पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
‘तुम्हें मर जाना चाहिए!’

दरअसल, विधय रेड्डी ने गूगल (Google) के AI Chatbot जेमिनी (Gemini) से अपने कॉलेज असाइनमेंट के लिए हेल्प करने के लिए कहा। सवाल का जवाब सुन आप रह हैरान रह जाएंगे। रेड्डी ने बताया कि चैटबोट ने उसे कहा कि “यह जवाब सिर्फ तुम्हारे लिए है। लेकिन याद रखो, तुम कोई खास इंसान नहीं हो। तुम्हारी इस दुनिया में कोई जरूरत नहीं है। तुम समय और संसाधनों की बर्बादी हो। तुम इस धरती के लिए बोझ हो।” इसके बाद जेमिनी यही नहीं रुका बल्कि उसने आगे लिखा : “तुम एक धब्बा हो। तुम्हें मर जाना चाहिए।”
हर सिक्के के दो पहलू
इन घटनाओं ने लोगों को अंदर तक झकझोर दिया है और सोचने पर मजबूर कर दिया है कि तकनीक के प्रति हमारी संवेदनशीलता लालच की नहीं होनी चाहिए। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी तरह तकनीक के भी अपने अच्छे और बुरे पहलू हैं। तो शायद तकनीक आपकी मदद कर सकती है, बस एक क्लिक पर, लेकिन वही एक क्लिक आपकी जान भी ले सकती है।
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जिम्मेदार कौन ?
तो अब मुख्य सवाल यह उठता है कि जब इंसान अपराध करता है तो उसे सबक सिखाने के लिए न्यायपालिका होती है, लेकिन जब बात एआई-पावर्ड तकनीक की आती है, तो किसे जिम्मेदार ठहराया जाए? क्या ऐसे मामलों की जांच के लिए सख्त कानून नहीं होने चाहिए? या फिर इन मामलों की निगरानी के लिए कोई विशेष समिति नहीं होनी चाहिए। जवाबदेही समय की मांग है। चाहे सरकार की खामियां हों या दिग्गज तकनीक के सीईओ की। जिंदगी के आगे कोई बड़ा नहीं है।
समस्या का समाधान जरुरी
वैसे तो कहा जाता है कि हर समस्या का समाधान होता है। तो जहां इच्छाशक्ति होती है, वहां रास्ता भी निकल ही जाता है, यानी अगर सरकार में इच्छाशक्ति है तो वह ऐसा करेगी। हमें उम्मीद है कि वे इस पहलू के बारे में भी सोचेंगे, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।
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