किसान आंदोलन के समर्थन में शेयर किए गए टूलकिट मामले में आरोपी शांतनु मुलुक के बाद निकिता जैकब को भी मुंबई उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली है। तीन हफ्ते तक उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई है। दिल्ली पुलिस ने उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज की है और उस पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। इस बीच टूलकिट मामले में आरोपी निकिता जैकब को मुंबई उच्च न्यायालय ने तीन हफ्ते की ट्रांजिट अग्रिम जमानत दे दी है।
पर्यावरणवादी ग्रेटा थनबर्ग द्वारा किसान आंदोलन के समर्थन में शेयर किए गए टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस की गिरफ्तारी की तलवार निकिता जैकब पर लटक रही है। इससे बचने के लिए निकिता ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। हालांकि निकिता ने चार हफ्ते के लिए अग्रिम जमानत की अर्जी दायर की थी। लेकिन फिलहाल उसे तीन हफ्ते के लिए गिरफ्तारी से राहत मिली है। इसके साथ ही निकिता को एक और राहत मिली है। मुंबई उच्च न्यायालय ने कहा है कि अगर निकिता जैकब को गिरफ्तार किया जाता है तो उसे 25 हजार के बॉन्ड पर राहत मिल सकती है।
Bombay HC grants transit anticipatory bail to advocate #NikitaJacob in toolkit case registered by Delhi Police
— Press Trust of India (@PTI_News) February 17, 2021
ये हैं दिल्ली पुलिस के आरोप
दिल्ली पुलिस ने निकिता जैकब पर टूलकिट के लिए दस्तावेज तैयार करने और खालिस्तान समर्थक तत्वों के सीधे संपर्क में होने का आरोप लगाया है। निकिता ने 15 फरवरी को मुंबई उच्च न्यायालय के पीडी नाइक की एकल पीठ के समक्ष याचिका दायर कर तत्काल सुनवाई का अनुरोध किया था। उसने याचिका में कहा था कि उसे मालूम नहीं है कि मामले में उसका नाम बतौर आरोपी या गवाह शामिल किया गया है। बता दें कि दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि के बारे में जानकारी देते हुए निकिता जैकब और शांतनु मुलुक के नाम का उल्लेख किया है।
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कौन है निकिता जैकब?
निकिता जैकब पेशे से वकील है। वह दीवानी विवादों के लिए कोर्ट में केस लड़ती है। उसके बायोडाटा में एडवोकेट मुंबई उच्च न्यायालय लिखा गया है। वह पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक न्याय के लिए आवाज उठानेवाली कार्यकर्ता है। अपनी वेबसाइट पर उसने लिखा है कि वह सही-गलत के लिए खड़ा होना पसंद करती है। लेकिन अनजाने में गलती कर जाती है। उसने यह भी लिखा है कि वो आसानी से प्रभावित हो जाती है। वह खुद को महत्वाकांक्षी लेखिका और गायिका भी बताती है। वह शौकिया फोटोग्राफर है और कुक भी है। वह आगे लिखती है,’मैं वर्गों में भेदभाव नहीं करना चाहती। मैं किसी भी उम्र और पृष्ठभूमि के लोगों के साथ आसानी से संवाद कर सकती हूं और जुड़ सकती हूं। मैं जन्म से कैथलिक हूं और मुंबई में रहती हूं।’
शांतनु मुलुक को भी राहत
टूलकिट मामले के एक अन्य आरोपी शांतनु मुलुक को भी न्यायालय से 10 दिन की ट्रांजिट अग्रिम जमानत मिल गई है। उसके वकीलों की दलीलें सुनने के बाद मुंबई उच्च न्यायालय की औरंगाबाद बेंच ने उसकी 10 दिनों की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। जस्टिस विभा कंकानवाड़ी ने यह राहत दी।
शांतनु पर ये हैं आरोप
शांतनु मुलुक के बनाए ई-मेल अकाउंट से टूलकिट गूगल डॉक्यूमेंट क्रिएट किया गया था। उसे निकिता जैकब और दिशा रवि ने एडिट किया था और इसे आगे अलग-अलग ग्रुप् में सेयर कर दिया था। शांतनु महाराष्ट्र के बीड का रहनेवाला है और इंजिनियर है।
क्या है ट्रांजिट जमानत?
ट्रांजिट जमानत एक निर्धारित समय और उद्देश्य के लिए ली जाती है। अदालत को यह बताना होता है कि वह जमानत अवधि में क्या काम करनेवाला है। इस तरह की जमानत विशेष मामलों में दी जाती है। विशेषकर अगर मामला दूसरे राज्य में दर्ज हुआ है तो वह अपना पक्ष रखने के लिए ट्रांजिट जमानत की मांग कर सकता है।