जहां बज रही थी शहनाई, अब वहां पसरा है मातम और सन्नाटा! जानिये, क्या है मामला

गुना जिले के जिस गांव में शादी की शहनाई बज रही थीं, वहां अब सन्नाटा फैला है, मातम पसरा हुआ है। घर माटी के ढेर में तब्दील हो चुके हैं तो पुलिस की सायरन बजाते वाहन लगातार घूम रहे हैं।

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मध्यप्रदेश के गुना जिले के जिस गांव में शादी की शहनाई बज रही थीं। वहां अब सन्नाटा फैला है, वहीं मातम पसरा हुआ है। घर माटी के ढेर में तब्दील हो चुके हैं तो पुलिस की सायरन बजाते वाहन लगातार घूम रहे हैं। पुलिस को तलाश है, उन शेष हत्यारों की, जिन्होने महज दावत उड़ाने की मंशा के चलते तीन पुलिसकर्मियों की लाशें बिछाने से भी गुरेज नहीं किया। इसके लिए पुलिस गांव में धरपकड़ करने में लगी है। इसी धरपकड़ के दौरान यह छिपा सच भी सामने आया है कि यह गांव बदमाशों का गढ़ बन चुका था। यहां के नट मुसलमान जानवरों की तस्करी के साथ अन्य अपराधों में भी लिप्त हैं।

पुलिस और वन कर्मियों पर हमले कर चुके हैं तो कई अपराध भी इनके खिलाफ दर्ज हैं। दूसरी ओर हुतात्मा पुलिसकर्मियों के घरों से भी मातम दूसरे दिन भी नहीं छंट सका है। परिजनों की आंखों में आंसुओं का सैलाब हैं, जिन्हे बमुश्किल वे पलकों के बांध से रोके रखते हैं, किन्तु जैसे ही सांत्वना के दो शब्द वे सुनते हैं, कोई उनके सिर या कंधे पर ढांढस का हाथ रखता तो आंसुओं का सैलाब पलकों का बांध तोड़कर बह निकलता है।

फैल रही हैं अफवाहें
घटना के बाद से अफवाहों का दौरे भी चल निकला है। मसलन मुठभेड़ में एक शिकारी को मारने के बाद देर शाम पुलिस द्वारा उनके गांव जिले के राघौगढ़ थानातंर्गत दी गई दबिश के दौरान एक और शिकारी को ढेर कर चुकी है। खुद नवनियुक्त आईजी डी श्रीनिवास वर्मा ने देर रात्रि पत्रकारों से चर्चा करते हुए यह साफ किया था कि दो शिकारियों नौशाद और उसके भाई शहजाद को मारने के साथ दो आरोपियों शानू खान एवं मोहम्मद खान को गिरफ्तार किया गया है। साथ ही शेष फरार आरोपियों की तलाश की जा रही है। 15 मई की शाम को पुलिस की ओर से प्रेस को जारी बयान में भी यही कहा गया, लेकिन रात से लेकर अब तक चार शिकारियों के मारे जाने की अफवाह सोशल मीडिया के माध्यम से उड़ती रही। इतना ही नहीं, पुलिस अधीक्षक गुना राजीव कुमार मिश्रा को हटाने की चर्चाएं भी चलतीं रहीं।

पहाड़ी पर छिपे थे बदमाश, पुलिस को देखकर चलाईं गोलियां
तीन जवानों की हत्या के बाद सरकार की ओर से फ्री हैंड मिलने पर पुलिस ने बदमाशों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। बीते रोज इधर हुतात्मा जवानों का पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जा रहा था तो दूसरी ओर पुलिस बदमाशों को निपटाने में जुट गई थी। पहले उनकी पहचान कर बिदौरिया स्थित उनके घरों पर बुलडोजर चलाया गया। फिर आसपास क्षेत्र में उनकी तलाश में सर्चिंग की गई। भारी पुलिस बल क्षेत्र में उतर चुका था। इसी दौरान आरोपितों के एक पहाड़ी पर होने की सूचना मिली। जिस पर पुलिस ने दबिश दी तो बदमाशों ने गोलियां चलानी शुरु दीं। बदमाशों ने कई राउंड गोलियां चलाईं। पुलिस ने भी जवाबी गोलियां चलाईं। जिसमें एक बदमाश शहजाद की मौत हो गई, वहीं दो बदमाश शानू और मोहम्मद खान पकड़े गए। अन्य आरोपी भाग गए। इस मुठभेड़ के दौरान धीरेंद्र गुर्जर नाम के पुलिसकर्मी घायल हो गए। शिकारी विक्की और गोलू सहित अन्य आरोपी फिलहाल फरार हैं। जिनकी तलाश में पुलिस लगातार दबिश दे रही है।

बिना तैयारी के पहुंची पुलिस
इस पूरे मामले में यह भी सामने आया है कि पुलिस बिना किसी अतिरिक्त तैयारी के जंगल में शिकारियों को पकड़ने पहुंच गई थी, जबकि उसे पता होना चाहिए था कि जब शिकारी शिकार कर रहे हैं तो उनके पास हथियार भी होंगे। इसके बाद भी तीन पुलिसकर्मी पहुंचे और उनके पास भी हथियारों के नाम पर उप निरीक्षक राजकुमार जाटव के पास सर्विस रिवाल्वर और आरक्षक संतराम के पास राइफल थी। आरक्षक की राइफल अब तक नहीं मिली है, हालांकि मामले में यह भी सामने आ रहा है कि पुलिसकर्मियों को भी यह आशंका नहीं थी कि उनके ललकारने पर बदमाश सीधे उन पर गोलीबारी शुरु कर देंगे।

सूत्र बताते हैं कि आरोन से लगे इन जंगलों में जंगली जानवरों का शिकार होते रहता है। पुलिस और वन विभाग की टीम इनकी धरपकड़ भी करती है, किन्तु यह कार्रवाई सिर्फ दिखावे के लिए होती है। कड़ी कार्रवाई नहीं होने के चलते शिकार का यह सिलसिला रुक नहीं पा रहा है। सूत्र यह भी बताते हैं कि शिकार के साथ ही जानवरों की खाल और सिंग की भी तस्करी की जाती है।

वन विभाग की भूमिका पर उठ रहे सवाल
इस पूरे मामले में वन विभाग की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। दरअसल पूरा मामला वन विभाग से ही जुड़ा है। यह तो सर्वविदित है कि आरोन से लगे इन जंगलों में बड़े पैमानों पर शिकार किया जाता है। वन विभाग को इसको लेकर शिकायतें भी की गईं, किन्तु कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे शिकारियों को हौसले बुलंद होते चले गए। अगर समय रहते ही वन विभाग अपनी भूमिका का जिम्मेदारी पूर्वक निवर्हन करता और शिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती तो इतनी दुखद घटना सामने नहीं आती। वन विभाग की लापरवाही यह भी है कि जब इतनी बड़ी घटना सामने आ गई, तब भी वन विभाग का कोई वरिष्ठ अधिकारी समय रहते मौके पर नहीं पहुंचा।

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