हलाल समाप्ति के लिए पहला झटका, एक मंच से हिंदू संगठनों ने भरी हुंकार

हलाल प्रमाण पत्र के नाम पर इस्लामी देश एक समानांतर अर्थव्यवस्था चला रहे हैं। इसमें पहले निर्यात के नाम पर बंदिश रखी गई थी, जो धीरे-धीरे भारतीय मुसलमानों के विचारों में भर दिया गया है। जिससे हलाल प्रमाणित उत्पादों का ही उपयोग करें, यह भ्रांति उत्पन्न कर दी गई है।

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स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक और हिंदू जनजागृति समिति के संयुक्त तत्वावधान में हलाल विरोधी परिषद का आयोजन मुंबई में हुआ। यह परिषद मुंबई में होनेवाले ‘हलाल शो’ के विरोध में आयोजित किया गया था। जिसका उद्देश्य गैर इस्लामी आस्थाओं पर हलाल के माध्यम से किये जा रहे हमले का प्रखरता से विरोध करना और हिंदू संगठनों को एकमंच पर लाना था।

भारत में निर्मित उत्पाद या मांसाहर को लेकर सरकार ने विभिन्न मानक निश्चित किये हैं। जिसमें एगमार्क, इंडिया ऑर्गेनिक, एफएसएसएआई के मानक कृषि उपज, प्रोसेस्ड फूड और खाद्य पदार्थों के लिए दिया जाता है। इसके बाद भी निजी रूप से इस्लामी देशों की संयुक्त एजेंसियों ने हलाल नामक नया पंजीकरण प्रारंभ किया। जिसके माध्यम से इस्लामी ग्रंथ कुरान और हदीस में बताए जीव वध के तरीकों से पदार्थ या उत्पाद का निर्माण किया गया है, इसका पंजीकरण दिया जाना लगा। इस प्रकरण में अति तो तब हो गई जब मुंबई में अक्टूबर माह में ‘हलाल शो’ का आयोजन किया जा रहा है। इसकी गंभीरता भले ही सरकार और गैर इस्लामी जनता नहीं समझ रही है, लेकिन हिंदुत्ववादी संस्थाओं को इसका आभास है। जिसके लिए स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक, मुंबई और हिंदू जनजागृति समिति के संयुक्त तत्वावधान में विभिन्न संगठनों ने हलाल सख्ती विरोध परिषद का आयोजन किया है। इसमें देश के विभिन्न क्षेत्रों से आए विद्वानों ने हिस्सा लिया और किस प्रकार भारत सरकार के कानूनों को धत्ता बताते हुए इस्लाम धर्मियों द्वारा एक समानांतर अर्थव्यवस्था चलाई जा रही है, इस षड्यंत्र की ओर आगाह किया। इस कार्यक्रम में हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता रमेश शिंदे द्वारा लिखित ‘हलाल जिहाद’ पुस्तक का विमोचन संपन्न हुआ।

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हमारा पैसा हिंदू व्यापारी को ही जाए, करें निश्चय – रणजीत सावरकर
हलाल के विरोध में शुरू हुई इस लड़ाई से अब पीछे नहीं हटना है। लव जिहाद अकबर के काल से शुरू था। वर्तमान में हलाल के रूप में नया जिहाद शुरू किया गया है। जिसके विरोध में उठा आंदोलन एक अवसर है, हलाल प्रमाणित उत्पादों का बहिष्कार करने के लिए। विश्व में यह पहला उदाहरण है कि, किसी देश में बहुसंख्यकों को अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ रहा है। हमें हलाल विरोध के लिए एक समिति का गठन करना चाहिये, जिसमें किसी भी दल और संगठन के बैनर के नाम पर कोई भेदभाव न हो। हमें यह प्रण करना होगा कि, हमारा पैसा हिंदू व्यापारी को ही जाएगा।

श्रीलंका में प्रतिबंध, भारत में क्यों नहीं? रमेश शिंदे
मांस के हलाल पंजीयन से शुरू हुआ इस्लामी संगठनों का तंत्र अब सौंदर्य प्रसाधन, औषधि, निर्माण क्षेत्र क्षेत्र से आगे बढ़ते हुए इंटरनेट सेवा और डेटिंग वेबसाइट क्षेत्रों में भी शुरू हो गया है। इसके माध्यम से हलाल के नाम पर एक समानांतर हलाल अर्थव्यवस्था शुरू हो गई है। भारत में हलाल प्रमाणपत्र जमियत उलेमा ए हिंद देती है, जो देश के 700 से करीब आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त लोगों को नि:शुल्क कानूनी सहायता दे रही है। श्रीलंका में हलाल प्रमाण पत्र पर प्रतिबंध लगाया गया है। यदि यह कदम श्रीलंका में उठाया जा सकता है तो, भारत में प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जा सकता है।

इस परिषद में स्वतंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक के कार्याध्यक्ष रणजीत सावरकर, भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ.विजय सोनकर शास्त्री, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के उपाध्यक्ष यशवंत किल्लेदार, परशुराम तपोवन आश्रम के संस्थापक भार्गवश्री बी.पी.सचिनवाला, महाराष्ट्र अखिल भारतीय खटीक महासंघ के प्रभारी विवेक घोलप, महाराष्ट्र राज्य सर्राफा एवं सुनार महासंघ के अध्यक्ष मोतीलाल जैन, वीरशैव लिंगायत महासंघ के डॉ.विजय जंगम, झटका प्रशांत संघ के संतोष गुप्ता उपस्थित थे।

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