Hathras stampede: भोले बाबा का अखिलेश कनेक्शन!

हालांकि उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस हादसे में 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें कार्यक्रम का आयोजक देव प्रकाश मधुकर भी शामिल है।

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नरेश वत्स

Hathras stampede: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कासगंज (Kasganj) स्थित पटियाली गांव के बहादुरगढ़ का रहने वाला सूरजपाल उर्फ नारायण साकार हरि उर्फ ‘भोले बाबा’ (Surajpal alias Narayan Sakar Hari alias ‘Bhole Baba’) के सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की जान चली गई।

लेकिन नारायण सकार उर्फ भोले बाबा पर उत्तर प्रदेश पुलिस हाथ डालने से बच रही है। हालांकि उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस हादसे में 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें कार्यक्रम का आयोजक देव प्रकाश मधुकर भी शामिल है।

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अखिलेश यादव कनेक्शन
नारायण साकार हरि के सत्संग में सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लोग सबसे ज्यादा आते हैं। बाबा की असली ताकत सत्संग में आने वाली भीड़ है और भीड़ का सीधा अर्थ है वोट बैंक। वह वोट बैंक, जिस पर राजनीतिक दल अपने नफे और नुकसान का आकलन करते हैं। नारायण साकार हरि के सत्संग में जुट रही भीड़ को देखते हुए समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अखिलेश यादव ने नारायण साकार हरि के सत्संग में हाजिरी लगाई। जनवरी 2023 में अखिलेश यादव ने अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए भोले बाबा के कार्यक्रम में हिस्सा लिया। कासगंज, एटा, अलीगढ़, हाथरस, आगरा, फर्रुखाबाद और मैनपुरी इलाकों में समाजवादी पार्टी का प्रभाव है। समाजवादी पार्टी सुप्रीमो अखिलेश यादव ने पीडीए फॉर्मूला यानी पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक के वोट बैंक के लिहाज से बाबा नारायण साकार हरि से अपने संबंध मधुर बना लिए थे। वोट बैंक की राजनीति में पार्टियों के लिए ऐसे बाबाओं का आशीर्वाद उनकी जीत सुनिश्चित करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

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लोकसभा चुनाव में सपा की जीत का राज
2024 के लोकसभा चुनाव में इंडी गठबंधन ने बीजेपी को जो नुकसान पहुंचाया, उसमें अखिलेश यादव के पीडीए फार्मूले का बड़ा हाथ है। पिछड़ी जातियों में नारायण साकार हरि जैसे बाबाओं की भूमिका बहुत बड़ी होती है। बाबाओं के पास भीड़ होती है और राजनीतिक दलों को भीड़ चाहिए। शायद यही कारण है कि उत्तर प्रदेश पुलिस कार्रवाई करने से बच रही है। उत्तर प्रदेश में भोले बाबा के लाखों भक्त हैं और उनका दलित समाज के बीच अच्छा रसूख है। भोले बाबा खुद जाटव समाज से आते हैं और उनके भक्तों में 80 प्रतिशत लोग भी इसी समाज से हैं, जिसमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है। इसके अलावा ओबीसी वर्ग से भी लोग उनके साथ जुड़े हैं।

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एफआईआर में नाम क्यों नहीं?
उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस हादसे में दो महिलाओं सहित 7 लोगों को गिरफ्तार किया है। 2 जुलाई को हाथरस के सिकंदरा बाहु इलाके में सत्संग के दौरान भगदड़ मचने 121 लोगों की मौत हुई थी। उत्तर प्रदेश पुलिस ने अभी तक जिन लोगों को गिरफ्तार किया है, वे उस समिति का हिस्सा हैं, जिसने सूरज पाल जाटव यानी नारायण साकार उर्फ भोले बाबा का सत्संग आयोजित किया था। उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस हादसे के मुख्य अभियुक्त और कार्यक्रम के आयोजक देव प्रकाश मधुकर की जानकारी देने वाले को एक लाख रूपए का इनाम देने की घोषणा भी की थी। फिलहाल पुलिस ने उसे भी दबोचने में सफलता हासिल की है।

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पुलिस की सफाई
ध्यान देने वाली बात यह है कि उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाथरस हादसे की एफआईआर में भोले बाबा का जिक्र नहीं किया है। भोले बाबा को नामजद अभियुक्त नहीं बनाया गया है। उत्तर प्रदेश पुलिस का कहना है कि भगदड़ की स्थिति जब हुई तो आयोजन कर्ता मौके से भाग गए थे। पुलिस का कहना है कि सत्संग के आयोजन की जिम्मेदारी आयोजनकर्ताओं की थी इसलिए उनकी जिम्मेदारी तय करते हुए एफआईआर दर्ज की गई है। साफ है कि उत्तर प्रदेश पुलिस हाथरस हादसे के लिए आयोजन करने वाले और सेवादारों को जिम्मेदार बता रही है। और भोले बाबा की भूमिका पर बात नहीं कर रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस ने 7 लोगों को गिरफ्तार किया है, उसमें राम लड़ैते- मैनपुरी, उपेंद्र सिंह-फिरोजाबाद, मेघ सिंह- हाथरस, मुकेश कुमार -हाथरस, मंजू यादव- हाथरस, मंजू देवी, हाथरस और देव प्रकाश मधुकर शामिल है।

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कार्रवाई नहीं होने पर सवाल
सवाल उठ रहा है कि आखिर उत्तर प्रदेश पुलिस नारायण साकार हरि को बचाने में क्यों लगी है? कानून के जानकारों का कहना है कि बाबा का नाम बाद में क्यों आएगा? सत्संग करने वाली समिति किसकी थी? यह समिति बाबा की थी। ऐसे में बाबा का नाम एफआईआर में दर्ज होना ही चाहिए।

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