स्वास्थ्य मंत्री बोले, भारतीय दवाओं की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं, नकली दवाईयों पर हो रही कार्रवाई

फार्मास्युटिकल क्षेत्र में हमारी वैश्विक स्थिति हमारे उत्पादों की गुणवत्ता के माध्यम से कायम होती है। मूल्य और गुणवत्ता की दृष्टि से इस स्थिति को मजबूत बनाए रखना सुनिश्चित करने के लिए हमें हरसंभव कदम उठाना चाहिए। अत: स्व-नियमन की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।" 

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“एमएसएमई फार्मा कंपनियों के लिए दवाओं की गुणवत्ता के प्रति सजग रहना और स्व-विनियमन के जरिए अवलिम्ब अच्छी विनिर्माण प्रक्रिया अपनाना महत्वपूर्ण है।” यह बात केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने आज यहां एमएसएमई क्षेत्र की फार्मा कंपनियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात के दौरान कही।

एमएसएमई फार्मा क्षेत्र में स्व-नियमन की आवश्यकता पर जोर देते हुए मांडविया ने कहा,“फार्मास्युटिकल क्षेत्र में हमारी वैश्विक स्थिति हमारे उत्पादों की गुणवत्ता के माध्यम से कायम होती है। मूल्य और गुणवत्ता की दृष्टि से इस स्थिति को मजबूत बनाए रखना सुनिश्चित करने के लिए हमें हरसंभव कदम उठाना चाहिए। अत: स्व-नियमन की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।” उद्योग के आश्वासन के आधार पर आज बड़ा फैसला लिया गया, एमएसएमई फार्मा सेक्टर के लिए अनुसूची एम को चरणबद्ध तरीके से अनिवार्य किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ”इससे ​​गुणवत्ता के आश्वासन में मदद मिलेगी और अनुपालन बोझ भी कम होगा।”

नकली दवा निर्माता कंपनियों पर होगी कड़ी कार्रवाई
डॉ. मनसुख मांडविया ने भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को नकली दवा बनाने वाली सभी दवा निर्माता कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। उन्होंने जोर देकर कहा, “भारत में निर्मित दवाओं की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।” उन्होंने कहा कि सरकार गुणवत्ता का अनुपालन न करने और नकली दवाएं बनाने वाले निर्माताओं को कतई बर्दाश्त नहीं करती। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि दवा बनाने वाली कंपनियों का निरीक्षण करने के लिए विशेष दस्ते बनाए गए हैं और कड़ी कार्रवाइयां की गई हैं।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि फार्मा उत्पादों की उत्कृष्ट गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए 137 कंपनियों का निरीक्षण किया गया है और 105 कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। 31 कंपनियों में उत्पादन बंद कर दिया गया है और 50 कंपनियों के खिलाफ उत्पाद/सेक्शन लाइसेंस रद्द और निलंबन जारी किए गए हैं। इसके अतिरिक्त 73 कंपनियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं तथा 21 कंपनियों के विरूद्ध चेतावनी पत्र जारी किये गये हैं।

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