सर्वोच्च न्यायालय में एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा की जमानत की याचिका सुनवाई हो रही है। नवलखा ने मुंबई हाईकोर्ट के फैसले को देश के सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। उन्होंने 19 फरवरी को सर्वोच्च न्यायायलय में अपील दायर की है। उच्च न्यायालय ने 8 फरवरी को उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। उसने अपने आदेश में कहा था कि उसे विशेष अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता। विशेष अदालत ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था।
न्यायमूर्ति यू.यू. ललित, न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की बेंच नवलखा की मुबंई उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई करेगी।
ये है आरोप
पुलिस के अनुसार कुछ कार्यकर्ताओं ने 31 दिसंबर 2017 को पुणे में एल्गार परिषद की बैठक में कथित रुप से भड़काऊ भाषण दिया था। इससे अगले दिन कोरेगांव भीमा में हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई थी। पुलिस का आरोप था कि इस कार्यक्रम को कुछ माओवादी संगठनों का समर्थन प्राप्त था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी इस मामले की जांच कर रही है।
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नवलखा की याचिका में क्या है?
मुंबई उच्च न्यालाय की सुनवाई के दौरान नवलखा ने कहा था कि हाउस अरेस्ट की अवधि को हिरासत की अवधि के रुप में माना जाए। हालांकि 8 फरवरी को उच्च न्यायालय ने याचिका को स्वीकारने से इनकार कर दिया था। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि दिल्ली उच्च न्यायालय द्वार उन्हें पहले ही नजरबंद रखने के आदेश को अवैध घोषित किया जा चुका है और इसलिए इस गैर-कानूनी हिरासत को गिरफ्तारी की अवधि में नहीं माना जा सकता।