ज्ञानवापी परिसर में मिले कथित शिवलिंग के पूजा-पाठ, राग-भोग, आरती करने को लेकर शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की ओर से दाखिल अर्जी पर 11 नवंबर को सुनवाई स्थगित कर दी गई। अब इस अर्जी पर 18 नवम्बर को सुनवाई होगी। सिविल जज सीनियर डिविजन कुमुदलता त्रिपाठी के अवकाश पर रहने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी।
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शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने अपने अधिवक्ताओं के माध्यम से अदालत में वाद दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) के आदेश पर हुई कोर्ट कमीशन की कार्यवाही में मिले शिवलिंग का विधिवत राग-भोग, पूजन एवं आरती जिला प्रशासन की ओर से करना चाहिए था, लेकिन अभी तक प्रशासन ने ऐसा नहीं किया है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि कानूनन देवता की परस्थिति एक जीवित बच्चे के समान होती है। जिसे अन्न-जल आदि नहीं देना संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत दैहिक स्वतंत्रता के मूल अधिकार का उल्लंघन है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरुण कुमार त्रिपाठी, रमेश उपाध्याय चंद्रशेखर सेठ आदि न्यायालय में पैरवी की।
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