Porbandar: ऐसे दबोचे गए दो पाकिस्तानी, 1200 करोड़ की हेरोइन जब्त

आईसीजी और एटीएस के इस प्रकार मिलकर काम करने से पिछले तीन वर्षों में ग्यारह ऐसे सफल ऑपरेशन हुए हैं, जो राष्ट्रीय उद्देश्यों के लिए तालमेल की जरूरत को दर्शाता है।

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Porbandar के निकट अरब सागर में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने एक बड़ा ऑपरेशन चला कर 1200 करोड़ रुपये कीमत की 173 किलो हेरोइन बरामद की है। यह लगातार दूसरा दिन है, जब ड्रग्स की इतनी बड़ी खेप पकड़ी गई है। ऑपरेशन के दौरान सुरक्षा एजेंसी की बोट को नुकसान पहुंचाने और ड्रग्स के पैकेट समुद्र में फेंकने का भी प्रयास किया गया।

ऐसे दबोचे गए पाकिस्तानी
इंडियन कोस्टगार्ड, गुजरात एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) ने ख़ुफ़िया इनपुट के आधार पर पोरबंदर के निकट अरब सागर में संयुक्त ऑपरेशन चलाया। संदिग्ध बोट दिखाई देने पर उसकी घेराबंदी करके 1200 करोड़ रुपये कीमत की 173 किलो हेराइन बरामद की है। इस दौरान बोट पर सवार चालक दल ने भारतीय सुरक्षा एजेंसी की बोट को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की, जिसके कारण सुरक्षा बलों ने फायरिंग की। चालक दल ने एजेंसियों की कार्रवाई को देखते हुए ड्रग्स के 3 पैकेट समुद्र में भी फेंक दिए। प्राथमिक जांच में पता चला है कि यह ड्रग्स तमिलनाडु से होते हुए श्रीलंका भेजी जा रही थी।

इससे पहले जब्त किए गए थे 600 करोड़ के नशीले पदार्थ
इससे पूर्व 29 अप्रैल को भारतीय तट रक्षक (आईसीजी) ने आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) और नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के सहयोग से समुद्र में नशीले पदार्थों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान 600 करोड़ रुपये मूल्य के 86 किलोग्राम नशीले पदार्थ जब्त किए और सावधानीपूर्वक योजनाबद्ध तरीके से पाकिस्तानी जहाज से चालक दल के 14 सदस्यों को गिरफ्तार किया।

जहाज की पहचान छिपाने की कोशिश
एटीएस और एनसीबी अधिकारियों से लैस आईसीजी जहाज राजरतन ने पहचान से बचने की कोशिशों के बावजूद संदिग्ध नाव की पहचान कर ली। समवर्ती मिशनों पर जहाजों और विमानों के बेड़े से लैस राजरतन जहाज की त्वरित प्रतिक्रिया ने दवा से भरे जहाज को घेर लिया और भागने के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी। जहाज की विशेषज्ञ टीम संदिग्ध जहाज पर चढ़ गई और गहन जांच के बाद बड़ी मात्रा में नशीले पदार्थों की मौजूदगी की पुष्टि की। आगे की जांच और कानूनी कार्यवाही के लिए चालक दल और जहाज को फिलहाल पोरबंदर लाया गया है।

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आईसीजी और एटीएस के इस प्रकार मिलकर काम करने से पिछले तीन वर्षों में ग्यारह ऐसे सफल ऑपरेशन हुए हैं, जो राष्ट्रीय उद्देश्यों के लिए तालमेल की जरूरत को दर्शाता है।

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