Hindenburg Research: अडानी ग्रुप को घाटा पहुंचाने वाली कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च बंद, जानें अचानक क्या हुआ

जनवरी 2023 में अडानी ग्रुप पर कई गंभीर आरोप लगाने वाली अमेरिकी शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अब अपना कारोबार बंद कर दिया है। कंपनी के संस्थापक नाथन एंडरसन ने खुद कहा है कि उन्होंने कंपनी बंद करने का फैसला किया है।

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अमेरिकी (American) निवेश शोध फर्म और शॉर्ट सेलिंग समूह हिंडनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) अब बंद होने जा रहा है। कंपनी के संस्थापक नाथन एंडरसन (Nathan Anderson) ने रविवार को इसकी घोषणा की।

नाथन एंडरसन ने अपने बयान में कहा, मैंने पिछले साल के अंत से ही परिवार, दोस्तों और हमारी टीम के साथ साझा किया था कि मैंने हिंडनबर्ग रिसर्च को बंद करने का फैसला किया है। एंडरसन ने कहा, कंपनी को खोजी विचारों की पाइपलाइन पूरी करने के बाद बंद करने का विचार था। हिंडनबर्ग रिसर्च ने हाल ही में पोंजी स्काईल्स से जुड़ी अपनी आखिरी परियोजनाएं पूरी की थीं, जिसके साथ मेमोरियल पर उनकी फिल्मी यात्रा शुरू हुई थी।

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अडानी ग्रुप को नुकसान
पिछले कुछ सालों में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप (Adani Group) के खिलाफ कई अभियान चलाए हैं। 2023 की रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने बताया कि गौतम अडानी के समूह को कई डॉलर (Dollar) का नुकसान हुआ है। हालांकि, अडानी ग्रुप ने इन सभी सहयोगियों को अमेरिका में ही छोड़ दिया था।

हिंडनबर्ग भारत में चर्चा का विषय बन गया
हिंडनबर्ग भारत में तब चर्चा में आया जब 2023 में उसने गौतम अडानी के नेतृत्व वाले ग्रुप पर बाजार नियमों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। बाद में 2024 में, इसने एक बार फिर कंपनी और यहां तक ​​कि बाजार नियामक सेबी और इसके प्रमुख पर दोहरे व्यवहार का आरोप लगाया। सेबी प्रमुख माधभी बुच पर कंपनी और उसके मामलों में निहित स्वार्थ होने का आरोप लगाया गया था। इन आरोपों के कारण अडानी समूह को 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के संसाधनों का नुकसान हुआ, जिससे कंपनी की प्रतिष्ठा को बड़ा नुकसान हुआ।

राजनीतिक गलियों में भी खूब चर्चा
साल 2023 के पहले महीने में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप से जुड़ी कंपनियों पर कई आरोप लगाए गए थे। गौतम अडानी उस समय दुनिया के चौथे सबसे अमीर व्यक्ति थे। इस रिपोर्ट के बाद अडानी ग्रुप की कंपनी के शेयरों में 80 प्रतिशत की गिरावट आई थी। हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट ने राजनीतिक गलियों में भी खूब चर्चा बटोरी थी। हालांकि, अडानी ग्रुप ने इन सहयोगियों को पूरी तरह से खारिज कर दिया था। बाद में सेबी की जांच में भी कुछ नहीं निकला। जब डील में कोई सच्चाई नहीं मिली तो अडानी ग्रुप की कंपनी के शेयरों में फिर से उछाल आया। गौतम अडानी ने कहा था कि हिंडनबर्ग रिपोर्ट सिर्फ ग्रुप को अस्थिर करने के लिए नहीं, बल्कि भारत को राजनीतिक रूप से बदनाम करने के लिए लाई गई थी।

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