मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के मंडला जिले (Mandla District) में ईसाई मिशनरियाँ (Christian Missionary) सक्रिय हैं। मिशनरी वहां स्कूल (School) और छात्रावास (Hostel) चला रहे थे। वहां शिक्षा के नाम पर बच्चों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने का प्रयास किया जा रहा था। मंडला के घुटास गांव में साइन फॉर इंडिया (Shine for India) नाम से एक स्कूल है। उस छात्रावास में रहने वाली पंद्रह लड़कियों और 33 लड़कों को ईसाई धर्म में परिवर्तित कर दिया गया है। यह भी बताया गया है कि इस स्कूल को छात्रावास चलाने की अनुमति नहीं है।
मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की जांच में पता चला कि इन बच्चों का ब्रेनवॉश किया जा रहा था और उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया जा रहा था। यह स्कूल ओडिशा निवासी ज्योति राज द्वारा बिना किसी अनुमति के चलाया जा रहा था। आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। यह सारी जानकारी कार्रवाई के लिए भोपाल मुख्यालय और प्रशासन को भेज दी गई है।
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बच्चों का ब्रेनवॉश और धार्मिक पुस्तकें
बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ओमकार सिंह ने बताया कि ये 48 बच्चे ओडिशा के अनूपपुर के दमोह और आसपास के इलाकों से यहां आए हैं। बाल संरक्षण आयोग की टीम ने जब बच्चों से बातचीत की तो कई चौंकाने वाली बातें सामने आईं। ये बच्चे डॉक्टर या इंजीनियर बनने की बजाय पुजारी और सिस्टर बनने की बात कर रहे थे। बच्चों ने स्वयं बताया कि उन्हें ईसाई धर्म में शामिल होने के लिए कहा गया था। जांच से पता चला कि उसका पूरी तरह से ब्रेनवॉश किया गया था। स्कूल में बाइबल समेत कई धार्मिक पुस्तकें भी मिलीं, जो इस बात का सबूत थीं कि वहां धार्मिक गतिविधियां होती थीं।
स्कूल में बाइबल के साथ प्रार्थना
आयोग की टीम को कई चौंकाने वाली बातें मिलीं। स्कूल की प्रार्थना सभाएं खुले में नहीं, बल्कि छत के नीचे भूमिगत स्थान पर आयोजित की जाती थीं। आमतौर पर स्कूलों में प्रार्थना खुले में होती है, लेकिन यहां ऐसा नहीं था। टीम ने बच्चों से बातचीत और प्रार्थना का पूरा वीडियो रिकार्ड किया, जिसे अब साक्ष्य के तौर पर प्रशासन और भोपाल मुख्यालय को भेज दिया गया है।
डीपीसी केके उपाध्याय ने कहा कि उन्हें पहले से ही संदेह था कि स्कूल में कुछ गड़बड़ है। जब आयोग की टीम घटनास्थल पर पहुंची तो उन्होंने देखा कि बच्चे बाइबल लेकर प्रार्थना कक्ष की ओर जा रहे थे। बच्चों ने बताया कि वे हर शाम 6:30 बजे ईसाई प्रार्थना करते हैं और इससे पहले वे दूसरे धर्म का पालन करते थे।
लड़कियों के कमरों में सीसीटीवी कैमरे
बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि स्कूल के दस्तावेजों में बच्चों का धर्म हिंदू और जाति गोंड लिखी थी, लेकिन छात्रावास के अभिलेखों में उन्हें ईसाई दर्शाया गया है। बच्चों के पूरे दस्तावेज भी नहीं मिले। आश्चर्य की बात यह है कि छात्रावास में लड़कियों के बाथरूम में कैमरे लगाए गए थे, जो बेहद आपत्तिजनक है। इन 48 बच्चों – जिनमें 15 लड़कियां और 33 लड़के शामिल हैं – को मंडला, ओडिशा और अनूपपुर से लाया गया था। बच्चों को माता-पिता की अनुमति के बिना धार्मिक गतिविधियों में शामिल किया जा रहा था।
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