विश्वबंधुत्व की सीख देकर सभी का समावेश करने वाले ‘सनातन धर्म’ (Sanatan Dharma) की डेंगू, मलेरिया, कोरोना, एड्स और कुष्ठरोग जैसे रोगों से तुलना कर ‘सनातन धर्म’ को नष्ट करने की बात करने वाले तमिलनाडु के खेल मंत्री उदयनिधि स्टालिन (Udhayanidhi Stalin), कर्नाटक के ग्रामीण विकास मंत्री प्रियांक खड़गे (Priyank Kharge) और तमिलनाडु के द्रमुक सांसद ए. राजा (MP A. Raja) ने पूरे देश के करोड़ों हिन्दुओं (Hindus) की धार्मिक भावनाएं आहत की हैं। वे सभी अपने वक्तव्यों पर दृढ हैं। इस कारण पूरे देश के हिन्दुओं में रोष व्याप्त है। अतएव उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153(A), 153(B), 295(A), 298, 505 और ‘आई.टी. एक्ट’ के अंतर्गत तत्काल अपराध प्रविष्ट किया जाए। इन सभी पर ‘राष्ट्रीय सुरक्षा कानून’ (National Security Act) लागू कर उन्हें तत्काल गिरफ्तार किया जाए, ऐसी मांग हिन्दू जनजागृति समिति ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) से की है। साथ ही कार्रवाई न होने पर पूरे देश में तीव्र आंदोलन की चेतावनी भी दी है। इस मांग का निवेदन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को भेज दिया गया है।
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देश के विपक्षी दलों के गठबंधन ‘I.N.D.I.A’ की बैठक मुंबई में होने के उपरांत उसमें सम्मिलित कुछ दलों में सनातन धर्म को लक्ष्य करने की होड लगी हुई है। करोड़ों हिन्दुओं की श्रद्धा पर आघात कर देश की एकता, अखंडता और शांति को संकट में डाला जा रहा है। मंत्री और सांसद जैसे संवैधानिक पदों पर आसीन विभिन्न जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा इस प्रकार के वक्तव्य करना, लोकतंत्र की हार है। क्या इस प्रकार से इस्लाम, ईसाई आदि धर्माें के विषय में वक्तव्य करने का साहस इन राजनीतिक दलों में अथवा उनके नेताओं में है? बार-बार भडकाऊ वक्तव्य कर हिन्दुओं को लक्ष्य करनेवाले इन कानून-द्रोही जनप्रतिनिधियों को केवल मंत्री मंडल से नहीं, अपितु विधानसभा और संसद से भी हटा देना चाहिए। सामान्यतः हिन्दुओं के विरोध में तत्परता से ‘हेट स्पीच’ के अपराध प्रविष्ट करने के आदेश पुलिस को दिए जाते हैं; परंतु अनेक दिनों से अत्यंत निचले स्तर पर सनातन धर्म के विषय में वक्तव्य किए जा रहे हैं, तब भी न तो प्रशासन कोई कार्रवाई कर रहा है, न ही सर्वाेच्च न्यायालय इस विषय में ‘सु मोटो’ संज्ञान ले रहा है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है।
इस प्रकार से धार्मिक तनाव निर्माण करने वाले नेताओं पर अपराध प्रविष्ट कर उन्हें दंड नहीं दिया गया, तो देश की शांति, एकता और अखंडता संकट में पड जाएगी। साथ ही देश में दंगे फैलाकर अराजकता निर्माण करने में ये आरोपी सफल हो जाएंगे। यदि ऐसा हुआ, तो इसके जिम्मेदार पुलिस तथा प्रशासन ही होंगे, ऐसा भी समिति ने कहा।
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