प्रखर राष्ट्रवादी और हिंदुत्ववादी इतिहासकार विक्रम संपत के विरुद्ध वामपंथियों का षड्यंत्र… जानिये उच्च न्यायालय में क्या हुआ?

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सुप्रसिद्ध इतिहासकार और स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर पुस्तक के लेखक व हिंदुत्ववादी विक्रम संपत के विरुद्ध अमेरिका से वामपंथी षड्यंत्र चलाया जा रहा है। इसके विरुद्ध विक्रम संपत ने अमेरिका के तीन प्रोफेसरों को न्यायालय में खींचा है। ये तीनों भारत विरोधी कार्यों में प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से संलग्न रहे हैं और ‘डिसमेन्टलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ के नाम से विश्व में प्रसारित किये जा रहे भारत विरोधी अभियान के प्रत्यक्ष समर्थक हैं। इन तीनों ने विक्रम संपत के विरुद्ध झूठी कहानी प्रसारित की है।

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विक्रम संपत की दो पुस्तकें हैं, जिसमें से 2019 में सावरकर: इकोज़ फ्रॉम ए फॉरगाटेन पास्ट 1883-1924 और 2021 में सावरकर: ए कन्टेस्टेड लिगसी 1924-1966 प्रकाशित हुई हैं। इन पुस्तकों को विश्वस्तर पर न मात्र ख्याति मिल रही है, बल्कि वह सर्वोत्तम बिकनेवाली पुस्तकों में से एक है। यह बातें वामपंथी और धर्मांतरण करनेवाले भारत विरोधी शक्तियों को पच नहीं रही थी। इन विरोधियों में अमेरिका में विभिन्न विश्वविद्यालयों से जुड़े शिक्षा क्षेत्र के तीन लोग हैं। इसमें प्रमुख नाम ऑड्रेय ट्रश्के का है जो रुत्जर्स विश्वविद्यालय से संलग्न हैं, जबकि अनन्या चक्रवर्ती जॉर्ज टाउन विश्वविद्यालय से और रोहित चोपड़ा सांता क्लारा विश्वविद्यालय से संलग्न हैं।

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हिंदू विरोधी और औरंगजेब पर पुस्तक की लेखिका हैं ट्रश्के
ऑड्रेय ट्रश्के हिंदू विरोधी गतिविधियां संचालित करने की केंद्र हैं, वे अमेरिका में भारत विरोधी गतिविधियों में हिस्सा लेती रही हैं। इसमें कुछ माह पहले ही ‘डिसमेन्टलिंग ग्लोबल हिंदुत्व’ नामक अभियान भी रहा है, इसमें प्रमुख वक्ता और आयोजक दल में भी ऑड्रेय का नाम रहा है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘औरंगजेब: द मैन एंड द मिथ” में मुगल राजा की बड़ी प्रशंसा की है। उसे एक मानवतावादी, संवेदनशील, न्याय प्रिय और पत्नी के लिए यादगार स्मारक बनवानेवाला बताया है। वहीं, औरंगजेब पर जजिया कर और हिंदू मंदिरों के विध्वंसक के रूप में लगे आरोपों पर भी ऑड्रेय बचाव करती हैं। बता दें कि, ऑड्रेय हिंदूत्व और उसके समर्थकों के विरुद्ध षड्यंत्र करने से बिल्कुल नहीं चूकतीं हैं।

ये है प्रकरण
विक्रम संपत द्वारा स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर लिखित दो पुस्तकों को लेकर अमेरिका के तीन लोगों ने विषय वस्तु की चोरी, कॉपीराइट उल्लंघन और रॉयल हिस्टॉरिकल सोसायटी के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। इसको लेकर इन लोगों ने रॉयल हिस्टॉरिकल सोसायटी को पत्र भी लिखा है, जिसे सोशल मीडिया पर साझा किया है। इसमें ऑड्रेय ट्रश्के के साथ अनन्या चक्रवर्ती और रोहित चोपड़ा भी हैं।

ये हैं आरोप
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के इतिहासकार विनायक चतुर्वेदी के लेख ‘ए रिवोल्यूशनरीज़ बायोग्राफी: द केस ऑफ वी.डी सावरकर’ से कॉपी करना।
2010 में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय की प्रोफेसर जानकी बाखले लिखित निबंध ‘सावरकर (1883-1966) सेडीशन एंड सर्विलांस द रूल ऑफ लॉ इन ए कोलोनियल सिचुएशन’ से भी विषय वस्तु को लिया गया है।

न्यायालय ने स्वीकार की याचिका
विक्रम संपत लंबे काल से वाम पंथी विचारकों के दुष्प्रचार का शिकार रहे हैं। स्वातंत्र्यवीर सावरकर पर दो पुस्तकें लिखने के बाद अमेरिका में वे हिंदुत्व समर्थकों और भारत वंशी लोगों के केंद्र बिंदु में आ गए हैं, ऐसे समय में वामपंथी विचारक और भारत विरोधी गतिविधियों में सम्मिलित लोगों ने उन्हें निशाना बनाते हुए उनके विरुद्ध झूठी अफवाहें प्रसारित करना प्रारंभ कर दिया है।

इसके लिए रॉयल हिस्टॉरिकल सोसायटी को पत्राचार करके भ्रम फैलाने का नया षड्यंत्र भी किया गया है। जिसे सोशल मीडिया पर वामपंथी और भारत विरोधी शक्तियों द्वारा खूब प्रसारित किया जा रहा है। जिस पर रोक के लिए विक्रम संपत दिल्ली उच्च न्यायालय में पहुंचे हैं, उनकी याचिका को न्यायालय ने स्वीकार भी कर लिया है।

विक्रम संपत को वैश्विक समर्थन
प्रखर राष्ट्रवादी लेखक विक्रम संपत को वैश्विक स्तर पर समर्थन मिल रहा है। इसमें कई विशिष्ट लेखक और विविध क्षेत्र की प्रतिभाएं भी हैं।

इन प्रतिभाओं में सुहेल सेठ भी हैं, जिन्होंने विक्रम संपत की किताबों को पढ़कर उसके उन्नत स्तर की प्रशंसा की है।

लेखक और अर्थशास्त्री संजीव सान्याल ने विक्रम संपत पर षड्यंत्र के अंतर्गत हमला करनेवालों पर तीखी टिप्पणी की है।

 

 

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