Stock market: 6 जनवरी को भारत में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस यानी एचएमपीवी के छह मामले सामने आने के बाद शेयर बाजार पर कोविड जैसे असर की आशंका व्यक्त की जा रही है। इस दिन दोनों इंडेक्स निफ्टी और सेंसेक्स में एक प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट देखी गई, लेकिन, यह गिरावट देश के बैंकिंग क्षेत्र और अन्य वैश्विक कारकों के साथ-साथ एचएमपीवी वायरस के डर के कारण थी। शेयर बाजार विश्लेषकों ने कहा है कि एचएमपीवी वायरस के बारे में चिंता करने का कोई कारण नहीं है।
अब तक सामने आए 6 मामले
कर्नाटक में अब तक इस वायरस के 6 मामले सामने आ चुके हैं, वहीं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने एक अधिसूचना जारी कर इस वायरस के फैलने की जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय स्थिति पर करीब से नजर रखे हुए है और हम विश्व स्वास्थ्य संगठन से आने वाली जानकारी और दिशानिर्देशों का भी अध्ययन कर रहे हैं।
कोविड 19 जितना डरावना नहीं है यह वायरस
स्वास्थ्य मंत्रालय ने साफ किया है कि चीन की मौजूदा स्थिति ज्यादा चिंताजनक नहीं है। स्टेट बैंक सिक्योरिटीज के मुताबिक, स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा एचएनपीवी वायरस के बारे में दी गई जानकारी चिंताजनक नहीं है। ये वायरस कोविड 19 जितना डरावना नहीं है. यह ऐसी स्थिति नहीं है जहां लॉकडाउन होगा या यात्रा रोक दी जाएगी। इसलिए शेयर बाजार को भी इस वायरस से डरने की जरूरत नहीं है।
बाजार में गिरावट का कारण वायरस नहीं
शेयर बाजार विश्लेषक सिद्धार्थ भामरे ने कहा है कि बाजार में गिरावट का कारण वायरस नहीं बल्कि अन्य कारण है। वायरस का डर अस्थायी है। एक बड़ा कारण बैंकिंग क्षेत्र, विशेषकर सरकारी स्वामित्व वाले बैंकों के प्रदर्शन में गिरावट है। इसलिए अगर आप गिरे हुए शेयरों पर नजर डालें तो उनमें बड़ी संख्या में बैंकिंग शेयर हैं। भामरे ने कहा, वित्तीय क्षेत्र का प्रदर्शन एक महत्वपूर्ण मुद्दा होने जा रहा है।
बैंकिंग सेक्टर के शेयर का सबसे अधिक नुकसान
अगर इस वायरस की वजह से मार्केट क्रैश हो जाता तो फार्मा या डायग्नोस्टिक कंपनियों में ग्रोथ होती और पर्यटन, यात्रा से जुड़े शेयरों में भारी गिरावट आई होती। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ है। मेट्रोपोलिस कंपनी का शेयर भी गिरा है और सबसे बड़ा नुकसान बैंकिंग सेक्टर के शेयर का हुआ। डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट और वित्तीय क्षेत्र में कंपनियों का खराब प्रदर्शन गिरावट का कारण हो सकता है।