कैसे-कैसे फादर! होना था शांतिदूत, आशांति के लिए गिरफ्तारी

83 वर्षीय पादरी स्वामी को गुरुवार को रांची में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने पुछताछ के लिए हिरासत में लिया था। शुक्रवार को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

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देश-दुनिया में जिनका नाम सम्मान से लिया जाता है और जिन्हें शांतिदूत माना जाता है, ऐसे लोगों को देश के सद्भाव बिगाड़ने और जातीय हिंसा फैलाने एवं अन्य तरह के आरोपों में गिरफ्तारी वास्तव में गंभीर मसला है। ऐसे ही एक कथित मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी को पुणे के भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में रांची से गिरफ्तार किया गया है। 83 वर्षीय पादरी स्वामी को गुरुवार को रांची में राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने पुछताछ के लिए हिरासत में लिया था। बाद में शुक्रवार को एजेंसी के अधिकारियों ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गुरुवार को झारखंड के रांची स्थित एनआईए कार्यालय में उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया गया था।

पहले भी की गई थी पूछताछ
इससे पहले फादर स्टेन स्वामी से 7 अगस्त को भी लंबी पूछताछ की गई थी। इसके लिए उन्हें मुंबई के एनआईए कार्यालय में बुलाया गया था। एजेंसी से मिली जानकारी के अनुसार उन्हें हाल ही में फिर से पूछताछ के लिए मुबंई के कार्यालय में पेश होने को कहा गया था, लेकिन उन्होंने अपनी उम्र का हवाला देते हुए और कोरोना संक्रमण के खतरे के मद्देनजर मुंबई आने में असमर्थता व्यक्त की थी। तथाकथित मानवाधिकार कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी पर आरोप है कि उनके और उनके अन्य साथियों के भड़काऊ भाषण के बाद ही एक जनवरी 2018 को पुणे के भीमा-कोरेगांव में हिंसा भड़की थी। एजेंसी ने उनके कंप्यूटर से कई संदेहास्पद मेल और अन्य दस्तावेज बरामद करने का दावा किया है।

कौन हैं स्टैन स्वामी?
मूल रुप से तमिलनाडु के रहनेवाले स्टैन स्वामी ने शादी नहीं की है। भारत और फिलीपींस में कुछ संस्थानों के साथ काम करने के बाद उन्होंने बैंगलुरू में इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट के साथ काम किया। फिर वे झारखंड आ गए और यहीं रहने लगे। शुरुआत में यहां उन्होंने सिंहभूम में बतौर फादर काम किया और कथित रुप से आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। वे मौजूदा सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन, वनाधिकार कानून लागू करने को लेकर कथित सरकारी उदासीनता, झारखंड की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा लैंड बैंक निर्माण, आदिवासियों को नक्सल बताकर उनके खिलााफ लगाए जार रहे देशद्रोह के आरोपों के खिलाफ मुखर रहे हैं।

भीमा-कोरेगांव हिंसा
पुणे के भीमा-कोरेगांव में एक जनवरी 2018 को हिंसा भड़की थी। इस दौरान कुछ क्षेत्रों में पत्थरबाजी की घटना भी घटी थी। इसमें एक नौजवान की मौत हो गई थी। हिंसा की घटना के एक दिन पहले यलगार परिषद की रैली आयोजित की गई थी। आरोप है कि इस रैली में कई लोगों ने भड़काऊ भाषण दिए थे, जिसके बाद हिंसा भड़की थी। इस संगठन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के षड्यंत्र रचने का भी आरोप लगाया गया है। इसके सबूत के तौर पर कुछ दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं।

अभी तक कई लोग गिरफ्तार
इस मामले में कई लोगों को अरेस्ट किया गया है। 6 जून को भी इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया था। उनमें लेखक और मुंबई के दलित अधिकार के पक्षधर सुधीर धावले, नागपुर के वकील सुरेंद्र गाडलिंग, विस्थापन के मुद्दे पर काम करनेवाले गढ़चिरोली के महेश राउत, नागपुर विश्विद्यालय के अंग्रेजी साहित्य विभाग के प्रमुख प्रोफेसर शोभा सेन और दिल्ली के सामाजिक कार्यकर्ता रोना विल्सन शामिल हैं। इसी तरह 28 अगस्त को पांच अन्य लोगों सुधा भारद्वाज,अरुण फरेरा, वैरऩन गोंजाल्विस, वरवरा राव और गौतम नवलखा को भी गिरफ्तार किया गया था। इन सभी को अभी तक रिहा नहीं किया गया है।
फिलहाल फादर स्टैन स्वामी पहले फादर नहीं हैं, जिनपर गंभीर आरोप लगे हैं और इस मामले में उनकी गिरफ्तारी हुई है। इससे पहले भी कई पादरियों पर गैंगरेप और यौनाचार जैसे गंभीर आरोप लगते रहे हैं।

चार पादरियों ने मिलकर महिला से किया रेप
2 जुलाई 2018 में केरल के कोट्टयाम शहर में एक कैथोलिक चर्च में चार पादरियों द्वारा एक महिला के साथ रेप करने का आरोप दर्ज किया गया था। पीड़िता का आरोप था कि पादरियों ने उसे ब्लैकमेल कर 13 बार रेप किया। चारों पादरियों की पहचान अब्राहम वर्गीज, जॉब मैथ्यू, जॉनसन वी, मैथ्यू और जेस जॉर्ज के रुप मे की गई थी।

फादर और उसके बेटे पर गैंगरेप का आरोप
सहारनपुर में एक चर्च के फादर और उसके बेटे पर एक महिला ने अपनी दो माइनर बेटियों के साथ गैंगरेप का आरोप लगाया था। यह मामला जून 2014 का है। मामले की शिकायत उत्तराखंड के रुड़की पुलिस थाने में दर्जी कराई गई थी। उसके बाद उसे थाना सदर बाजार में ट्रांसफर कर दिया गया था। इस मामले में पुलिस ने फादर के घर से बंधक बनाई गई नाबालिग लड़कियों को बरामद किया था। उनकी उम्र 17 और 14 साल थी। फादर डेविड जॉनसन ने अपने घर के काम के लिए दोनों नाबालिग लड़कियों को रखा था।

आंध्र प्रदेश में भी घिनौना आरोप
इसी वर्ष अप्रैल में आंध्र प्रदेश के मछलीपटनम में एक पादरी पर बलात्कार का मामला दर्ज किया गया है। पीड़िता ने अपनी शिकायत में कहा है कि फादर जोल रेचल ने उसके साथ दुष्कर्म किया और उसकी तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ करके उसे सोशल मीडिया पर जारी करने की धमकी दी।

फादर पर दो साल तक रेप करने का आरोप
जनवरी 2015 में सागर के गिरजाघर के एक फादर के खिलाफ भी यौनाचार का  केस दर्ज किया गया था आरोपी फादर का नाम फ्रि जो चिरमिल था। नन ने आरोप लगाया था कि पादरी ने लुभावने सपने दिखाकर उसके साथ दो साल तक यौनाचार किया।

पादरियों ने बच्चों तक को नहीं बख्शा
जर्मनी के मानहाइम, हाइडेलबर्ग और गीसन विश्विद्यालयों के मनोचिकित्सक और मनोवैज्ञानिकों, अपराध वैज्ञानिकों की टीम द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की गई थी। जिसके मुताबिक 1946 से 2014 के बीच जर्मन कैथोलिक चर्च के 1670 पादरियों और अन्य धर्माधिकारियों ने पूरे देश में 3677 नाबालिग बच्चों के साथ यौनाचार किया। पीड़ितों में आधे से कम की आयु 14 वर्ष से कम थी। ईसाई कैथोलिक चर्च के पदानुक्रम में सबसे नीचे के फादर से लेकर बिशप, कार्डिनल और पोप तक सभी को आजीवन अविवाहित रहकर ब्रह्मचर्य का पाल करना पड़ता है। लेकिन वे अपने पद की पवित्रता को ताक पर रखकर इस तरह की घिनौनी हरकत करते हैं और  सभी पादरियों को संदेह के कटघरे में खड़ा कर देते हैं।

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