फडणवीस महाराष्ट्र ही नहीं, दिल्ली में भी ‘बीस’!

देवेंद्र फडणवीस की आक्रामकता का लोहा महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार के मंत्री-नेता सभी मानते हैं। यही कारण है कि महाराष्ट्र में विपक्ष में रहने के बावजूद यहां की राजनीति में तो उनका दबदबा है ही, दिल्ली में भी उनकी चलती है।

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देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र ही नहीं, देश के एक जाने माने नेता हैं। 2019 में बिहार विधानसभा के चुनाव प्रभारी बनाए गए फडणवीस महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष हैं। उनकी आक्रामकता का लोहा महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार के मंत्री-नेता सभी मानते हैं। यही कारण है कि महाराष्ट्र में विपक्ष में रहने के बावजूद यहां की राजनीति में तो उनका दबदबा है ही, दिल्ली में भी उनकी चलती है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के करीबी माने जाने वाले फडणवीस की दिल्ली में काफी प्रभाव है और ये दोनों पार्टी के बड़े नेता भी महाराष्ट्र के बारे में कोई भी निर्णय लेते समय फडणवीस को ध्यान में रखते हैं। कह सकते हैं कि जिस तरह केंद्र में पीएम मोदी का कोई विकल्प नहीं है, उसी तरह महाराष्ट्र में भी भाजपा के पास फडणवीस का कोई विकल्प नहीं है।

वादा भी, इरादा भी, लेकिन शिवसेना ने तोड़ दी दोस्ती
मैं फिर आऊंगा… मैं फिर आऊंगा… महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के समय फडणवीस के इस दावे ने खूब धूम मचाया था। उनके इस बयान से विधानसभा चुनाव में सचमुच हड़कंप मच गया था। लोगों के साथ ही विशेषज्ञों को भी चुनाव बाद भाजपा के सत्ता में आने और उनके मुख्यमंत्री बनने का विश्वास था और ऐसा हुआ भी, लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद शिवसेना ने गठबंधन तोड़ दिया और देवेंद्र फडणवीस सीएम बनते-बनते रह गए। उन्हें नेता प्रतिपक्ष बनकर ही संतुष्ट होना पड़ा। उन्हें न चाहते हुए विपक्ष में बैठना पड़ा। हालांकि फडणवीस ने सत्ता में आने की कोशिश की लेकिन उनके प्रयास सफल नहीं हुए और परस्थितियां अभी भी ऐसी नहीं है कि यहां की राजनीति में कोई बड़ा उलटफेर हो। सुबह का शपथ ग्रहण समारोह हो या सरकार को उखाड़ फेंकने का परोक्ष प्रयास, फडणवीस को सफलता मिलती नजर नहीं आ रही है।

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फडणवीस बीस
बताया जा रहा था कि महाराष्ट्र में सत्ता खो देने के बाद भाजपा का शीर्ष नेतृत्व फडणवीस से बेहद नाराज है। वह इसके लिए देवेंद्र फडणवीस की जिद को जिम्मेदार मान रहा था, लेकिन इस तरह की बातों में ज्यादा दम नहीं लगता। क्योंकि महाराष्ट्र में 106 सीटों पर जीत हासिल करने के बावजूद सत्ता गंवा देने के बाद भी देवेंद्र फडणवीस को बिहार विधानसभा चुनाव का प्रभारी बनाया गया था और पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन कर 71 सीटों पर जीत दर्ज कर दूसरे नंबर की पार्टी बनी। वहीं हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार में जिन जनप्रतिनिधियों को मंत्री बनाया गया है, उसमें फडणवीस की राय ली गई है। उनकी सलाह पर ही महाराष्ट्र के चार भाजपा नेताओं नारायण राणे, कपिल पाटील, डॉ.भारती पवार और डॉ.भागवत कराड को केंद्रीय मंत्री बनाए जाने की बात कही जा रही है।

शिवसेना को संभाल लेंगे राणे
नारायण राणे महाराष्ट्र के प्रमुख नेताओं में से एक हैं। राणे को भाजपा में लाने के लिए देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना से नाराजगी मोल ले ली थी। इतना ही नहीं, उनके ही प्रयास से राणे राज्यसभा सांसद बने और अब केंद्रीय मंत्री भी हैं। मंत्री बनने के बाद राणे ने खुद एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी और अमित शाह के साथ ही देवेंद्र फडणवीस का भी शुक्रिया अदा किया। राणे की आक्रामकता से सभी वाकिफ हैं। उनमें सत्ताधारी शिवसेना को संभालने की क्षमता है। देवेंद्र फडणवीस ने मोदी और अमित शाह को अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान आश्वस्त किया था कि राणे के लिए मंत्री बनाया जाना पार्टी के लिए कितना फायदेमंद है। इसीलिए भाजपा ने राणे जैसे आक्रामक नेता को सीधे कैबिनेट में सम्मानजनक स्थान दिया।

मुंडे बहनों को दिया झटका
राणे के साथ ही देवेंद्र फडणवीस ने कपिल पाटिल जैसे कृषि नेता के महत्व पर भी जोर दिया। इसके साथ ही नासिक महानगरपालिका चुनाव से पहले पेशे से डॉ. भारती पवार का नाम भी सुझाया था। इतना ही नहीं, वंजारा समुदाय से डॉ. भागवत कराड को भी उनकी ही सलाह पर मंत्री बनाया गया है। कहा जाता है कि फडणवीस ने ऐसा कर जानबूझकर मुंडे बहनों को भी झटका दिया है।

फडणवीस को दिल्ली का वरदान
इस तरह की चर्चा थी कि फडणवीस को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है,लेकिन पीएम मोदी जानते हैं कि देवेंद्र फडणवीस का महाराष्ट्र में कोई विकल्प नहीं है। इसलिए वे उन्हें राज्य की राजनीति में ही सक्रिय रखना चाहते हैं। निश्चित रुप से मोदी-शाह फडणवीस से खुश हैं और वे उनके गुड बुक में हैं।

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