Malegaon blast case: मैं मालेगांव ब्लास्ट की जिम्मेदारी लूं, इसके लिए हेमंत करकरे, परमबीर सिंह और कर्नल श्रीवास्तव ने मुझ पर काफी दबाव डाला, यह दावा करते हुए मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने किया है। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने मुझ पर आरएसएस और वीएचपी के वरिष्ठ सदस्यों, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम लेने का भी दबाव डाला। इसके लिए मेरा उत्पीड़न 3 नवंबर, 2008 तक जारी रहा। पुरोहित (Col purohit) ने दावा किया कि उन्हें दी गई यातना के कारण उनका घुटना टूट गया है, जिसके कारण अब वह चल भी नहीं सकते हैं। कर्नल पुरोहित ने दावा किया कि उन्हें गोली मारने का षड्यंत्र था। पुरोहित को औपचारिक रूप से 5 नवंबर 2008 को गिरफ्तार किया गया था।
लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने दाखिल किया बयान
मालेगांव ब्लास्ट मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने अपने वकील विरल बाबर के जरिए विशेष एनआईए न्यायालय में लिखित बयान दाखिल किया है। उन्होंने दावा किया कि मुंबई एटीएस के प्रताड़ित किए जाने के बाद उनका दाहिना घुटना टूट गया है। पुरोहित ने अपने बयान में कहा कि एटीएस अधिकारी उनसे गैरकानूनी रूप से पूछताछ कर रहे थे और उन पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद के वरिष्ठ सदस्यों, तत्कालीन गोरखपुर सांसद योगी आदित्यनाथ का नाम लेने का दबाव डाल रहे थे। अगस्त 2008 में, मालेगांव विस्फोट से एक महीने पहले, तत्कालीन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी अध्यक्ष (शरद पवार) ने अलीबाग में एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा था कि ये केवल इस्लामी आतंकवादी नहीं हैं, बल्कि हिंदू आतंकवादी भी हैं। लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित ने कहा, ‘पहली बार हिंदू आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल किया गया।” कर्नल पुरोहित ने कहा कि पवार के इस बयान के तुरंत बाद 29 सितंबर 2008 को मालेगांव में विस्फोट की दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी।
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एटीएस ने मुझे अवैध रूप से हिरासत में रखाः कर्नल पुरोहित
कर्नल पुरोहित ने दावा किया कि उन्हें 29 अक्टूबर 2008 को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन एटीएस ने यह नहीं दिखाया कि उन्हें उस दिन गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने कहा कि मुंबई में उनकी गिरफ्तारी के तुरंत बाद, उन्हें खंडाला में एक एकांत बंगले में ले जाया गया, जहां उनसे तत्कालीन एटीएस प्रमुख दिवंगत हेमंत करकरे और परमबीर सिंह (एटीएस के तत्कालीन सहायक आयुक्त) सहित अन्य अधिकारियों ने पूछताछ की। लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित ने कहा, “हेमंत करकरे और परम बीर सिंह ने मुझे बार-बार सिमी, आईएसआई और मेरे खुफिया नेटवर्क के बारे में जानकारी देने के लिए मजबूर किया। यही नहीं, उन्होंने मुझे डॉ. जाकिर नाइक के साथ काम के बारे में झूठी जानकारी देने के लिए दबाव डाला।” कर्नल पुरोहित ने कहा, “मैंने अपने नेटवर्क के बारे में जानकारी देने से इनकार कर दिया।” पुरोहित के मुताबिक, “सेना के एक अधिकारी कर्नल पीके श्रीवास्तव, जो मेरे सीनियर थे और अब सेवानिवृत्त हैं, ने मेरी पीठ में छुरा घोंपा और मुझे एटीएस को सौंप दिया। वह पहला व्यक्ति था, जिसने पुलिस हिरासत में मुझ पर हमला किया। इसके बाद छह कांस्टेबलों ने मुझे बांध दिया और परमबीर सिंह ने भी मेरे साथ मारपीट की। मेरे साथ जानवर की तरह व्यवहार किया गया।” कर्नल पुरोहित ने कहा, “मेरे साथ दुश्मन देश के युद्धबंदी से भी बदतर व्यवहार किया गया।”