भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर ) ने स्वास्थ्य सेवाओं में ड्रोन के उपयोग के लिए गुरुवार को दिशानिर्देश जारी किए है। इससे राज्यों के स्वास्थ्य अधिकारियों को ड्रोन का उपयोग करके चिकित्सा सुविधायें देने में मदद मिलेगी। नए दिशा -निर्देशों के तहत राज्य ड्रोन के माध्यम से कोरोना रोधी टीके, टैबलेट, कैप्सूल, बोतलों में सिरप, दस्ताने, सीरिंज, रक्त बैग, मूत्र, रक्त, लार के सैंपल को 2-8 डिग्री सेल्सियस के बीच भंडारण तापमान में लिए जा सकते हैं।
आईसीएमआर के महानिदेशक प्रोफेसर डॉ बलराम भार्गव ने बताया कि देश की आबादी को देखते हुए स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार में ड्रोन की सेवाओं की मदद ली जा सकती है। कोरोना महामारी में ड्रोन की मदद से इस चुनौती को अवसर में भी बदला गया है। कोरोना रोधी वैक्सीन के आने के बाद, आईसीएमआर ने देश के दुर्गम क्षेत्र में वैक्सीन वितरित के लिए ड्रोन का सहारा लिया।उन्होंने बताया कि आईआईटी कानपुर में ड्राई-रन किया और फिर मणिपुर, नागालैंड जैसे उत्तरी राज्यों में ड्रोन के माध्यम से वैक्सीन वितरण शुरू किया गया था। इस दिशा में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसके इस्तेमाल के लिए अब स्वास्थ्य पेशेवरों को डेटा रिकॉर्डिंग, विश्लेषण के लिए प्रबंधन, फील्ड संचालन के दौरान किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए प्रशिक्षित करना है। इसलिए इस संंबंध में दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।आईसीएमआर के वैज्ञानिकों ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय औऱ भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण के सहयोग से नए ड्रोन नियम-2021 के अनुपालन में दस्तावेज़ संकलित किया है। इसमें ड्रोन के चयन से लेकर उसे चलाने तक के सभी नियम शामिल किए गए हैं।
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