Charge sheets: केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 30 जनवरी को नई दिल्ली में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल की उपस्थिति में राज्य में तीन नए आपराधिक कानूनों के कार्यान्वयन पर समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में पुलिस, जेल, कोर्ट, अभियोजन और फॉरेन्सिक से संबंधित विभिन्न नए प्रावधानों के गुजरात में कार्यान्वयन और वर्तमान स्थिति की समीक्षा की गई। बैठक में गुजरात के गृह राज्य मंत्री, केन्द्रीय गृह सचिव, गुजरात के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक, राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के महानिदेशक और केन्द्रीय गृह मंत्रालय एवं राज्य सरकार के अनेक वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
नये कानून में तीन साल में न्याय दिलाने का प्रावधान
बैठक में चर्चा के दौरान केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लाए गए तीन नए आपराधिक कानूनों की आत्मा, किसी भी मामले में एफआईआर से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक तीन साल में न्याय दिलाने के प्रावधान में है। शाह ने गुजरात सरकार द्वारा नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन को लेकर अब तक किए गए कार्यों की सराहना करते हुए राज्य सरकार से 30 अप्रैल 2025 तक सभी कमिश्नरेट में नए कानूनों का शत-प्रतिशत कार्यान्वयन सुनिश्चित करने को कहा। उन्होंने कहा कि गुजरात के मुख्यमंत्री से इसकी मासिक, राज्य के गृह मंत्री पाक्षिक और मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) एवं महानिदेशक पुलिस स्तर पर साप्ताहिक समीक्षा की जानी चाहिए।
जीरो एफआईआर को एफआईआर में बदलने का प्रशंसनीय कार्य
अमित शाह ने कहा कि गुजरात ने 10 वर्ष से अधिक सजा वाले मामलों में 92 प्रतिशत से अधिक चार्जशीट समय पर दाखिल करने का सराहनीय कार्य किया है। बचे हुए मामलों में अधिनियम में कोर्ट से अनुमति लेने के प्रावधान के उपयोग को सुनश्चित करने की समीक्षा की जानी चाहिए। गृह मंत्री ने कहा कि गुजरात ने जीरो एफआईआर को शत-प्रतिशत एफआईआर में बदलने का प्रशंसनीय कार्य किया है। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए जिसमें अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क एवं सिस्टम (सीसीटीएनएस) के जरिए दो राज्यों के बीच एफआईआर ट्रांसफर किया जा सके। गुजरात को सीसीटीएनएस 2.0 को अपनाना चाहिए।
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए साक्ष्य दर्ज करने की व्यवस्था
नए कानूनों में इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य के प्रावधान पर गृह मंत्री शाह ने कहा कि इसके उचित क्रियान्वयन के लिए राज्य के गृह एवं स्वास्थ्य विभाग को बैठक कर अस्पतालों से पोस्टमार्टम और अन्य मेडिकल रिपोर्ट इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्राप्त करने पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि जेलों, सरकारी अस्पतालों, बैंक, फोरेंसिक साइंस लैबोरेटरी (एफएसएल) इत्यादि परिसरों में भी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए साक्ष्य दर्ज करने की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जेलों में हर न्यायालय के लिए एक वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग क्यूबिकल होनी चाहिए।
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पुलिस महानिदेशक को मामलों की निरंतर मॉनिटरिंग का भी निर्देश
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि पुलिस को पूछताछ के लिए हिरासत में रखे गए लोगों की जानकारी इलेक्ट्रॉनिक डैशबोर्ड पर प्रदान करनी चाहिए, साथ ही जब्ती सूची और अदालतों में भेजे जाने वाले मामलों की जानकारी भी डैशबोर्ड पर रखनी चाहिए। उन्होंने राज्य के पुलिस महानिदेशक को इन मामलों की निरंतर मॉनिटरिंग का भी निर्देश दिया। शाह ने पुलिस थानों में नेटवर्क कनेक्टिविटी स्पीड को निर्धारित मानांकों से 30 एमबीपीएस अधिक करने को कहा। इसके अलावा शाह ने संगठित अपराध, आतंकवाद, मॉब लिंचिंग, डायरेक्टरेट ऑफ प्रॉसिक्यूशन में खाली पदों पर जल्द से जल्द भर्ती समेत कई मुद्दों पर राज्य सरकार को निर्देशित किया।