राज्य के जल संसाधन मंत्री जयंत पाटील से संबधित एक शैक्षणिक संस्थान पर बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए एक विवादित जमीन को सरकारी परियोजना के लिए देने का आरोप लगा है। इसके लिए संस्थान को मोटा मुआवजा मिला। संबंधित भूखंड को कौड़ी के भाव में खरीदने का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि इस भूखंड पर शिक्षण संस्थान ने आठ साल में कोई भी काम नहीं किया था।
भूखंड पर उच्च न्यायालय ने लगाया था स्टे
पनवेल तालुका में मुंबई-गोवा राजमार्ग के पास शिरढोण गांव की ग्राम पंचायत ने 1998 में राज्य सरकार को इस भूमि का उपयोग बस्ती विस्तार योजना के कार्यान्वयन के लिए करने के लिए लिखा था। हालांकि, 2004 में उन्हें पता चला कि इसमें से लगभग 14 एकड़ भूमि सांगली जिले के वालवा में कासेगांव एजुकेशन सोसाइटी को दी गई है। तत्कालीन वित्त और योजना मंत्री तथा रायगढ़ जिले के पालक मंत्री जयंत पाटील से संबद्ध संस्थान ने राज्य सरकार से इंजीनियरिंग कॉलेज स्थापित करने के लिए भूमि का अधिग्रहण किया था। इसके लिए पांच साल पहले 2004 में बाजार भाव के 25 फीसदी की दर से संगठन ने 20 लाख रुपए सरकार के पास जमा कराए थे। हालांकि इसका शिरढोण के ग्रामीणों ने विरोध किया था। उन्होंने शिकायत पर संज्ञान नहीं लेने पर सरकार के खिलाफ उच्च न्यायाल में याचिका दायर की थी। न्यायालय ने उनकी शिकायत पर विचार करते हुए भूखंड के विकास पर स्टे लगा दिया था।
60 लाख का किया भुगतान
न्यायाल के आदेश के बावजूद 2012 में रायगढ़ के डिप्टी कलेक्टर (भूमि अधिग्रहण) ने एक आदेश जारी कर मुंबई-गोवा हाईवे के लिए करीब दो एकड़ जमीन के अधिग्रहण की घोषणा की। इसके बाद कासेगांव एजुकेशन सोसाइटी को इस भूमि अधिग्रहण के लिए करीब 60 लाख 34 हजार रुपए का मुआवजा दिया गया। संस्थान के संयुक्त सचिव रामचंद्र सावंत ने अगस्त 2012 में भुगतान स्वीकार किया। हालांंकि न्यायालय ने भूखंड ‘जैसा है’ रखने का आदेश दिया था,इसलिए संबंधित भूमि का मुआवजा ग्राम पंचायत या सरकारी खजाने में जमा किया जाना चाहिए था। लेकिन, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर ने इस पर ध्यान नहीं दिया और संस्था को मुआवजा दे दिया। संस्थान ने 30 लाख रुपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा स्वीकार किया। इस मामले की शिरढोण के ग्रामीणों और शेतकरी कामगार पक्ष के महासचिव काशीनाथ पाटील ने गहन जांच की मांग की है।
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क्या है जयंत पाटील का संबंध?
कासेगांव एजुकेशन सोसाइटी की स्थापना 1945 में पश्चिमी महाराष्ट्र के एक प्रभावशाली राजनीतिक शख्सियत राजारामबापू पाटील ने की थी। संस्थान की वेबसाइट के अनुसार, इसकी स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों को शिक्षा प्रदान करने के लिए की गई थी। 1984 में राजारामबापू की मृत्यु के बाद, उनके बेटे और वर्तमान जल संसाधन मंत्री जयंत पाटील ने संगठन की कमान संभाली। पाटील के नेतृत्व में इसका विस्तार हुआ। आज संस्थान के पास 43 प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालय, 25 उच्च शिक्षण संस्थान और 12 छात्रावास हैं।