पश्चिम बंगाल के स्कूल में 12वीं की स्कूली टेस्ट परीक्षा के प्रश्नपत्र में मानचित्र पर आजाद कश्मीर को रेखांकित करने संबंधी एक प्रश्न दिया गया है। इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद गहरा गया है। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने इस मामले को बेहद गंभीर बताया है और राज्य सरकार को उच्चस्तरीय जांच करने का सुझाव दिया है।
होगी जांच
इसके बाद पश्चिम बंगाल उच्च माध्यमिक शिक्षा परिषद के अध्यक्ष रामानुज गांगुली ने कहा है कि इस मामले की जांच की जाएगी और उसी के मुताबिक कार्रवाई भी होगी। उन्होंने कहा कि हमें अभी तक नहीं पता है कि प्रश्नपत्र में आजाद कश्मीर जैसे सवाल को क्यों शामिल किया गया। हमलोग इसकी जांच कर आवश्यक कार्रवाई भी करेंगे।
टीएमसी ने दी सफाई
तृणमूल प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि हमारी पार्टी ऐसे किसी भी सवाल का समर्थन कभी नहीं करती है, अगर किसी ने इस तरह का प्रश्नपत्र बनाया है तो यह गलत है। हमारी पार्टी एक धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। हम किसी भी समुदाय को खुश करने में भरोसा नहीं रखते।
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री की मांग
केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉक्टर सुभाष सरकार ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल में देश विरोधी भावनाओं को बढ़ावा देने का रिवाज रहा है। उसी मानसिकता का पोषण राज्य के स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षक भी करते हैं और बच्चों का भी भविष्य बिगाड़ने में जुटे हुए हैं।
इस पर भी पलटवार करते हुए कुणाल घोष ने कहा कि डॉक्टर सरकार ने हमारी पार्टी के बारे में आधारहीन टिप्पणी की है।
किस स्कूल का है मामला
-आजाद कश्मीर पर क्वेश्चन पेपर सेट करने वाला यह मामला पश्चिम बंगाल के मालदा जिला अंतर्गत रामकृष्ण मिशन विवेकानंद विद्या मंदिर स्कूल का है। 12वीं की स्कूली परीक्षा में 2.4. ए प्रश्न में दिया गया है कि भारत के मानचित्र में निम्नलिखित स्थानों को चिन्हित करें। इसके बाद पहला ऑप्शन है “आजाद कश्मीर”।
स्कूल के प्रधानाध्यापक गल्ती मानने को तैयार नहीं
-खास बात यह है कि पूरा कश्मीर भारत का हिस्सा है लेकिन राज्य के इस स्कूल की परीक्षा में आजाद कश्मीर को मानचित्र पर दर्शाने संबंधित सवाल को लेकर विवाद गहरा गया है। इस संबंध में स्कूल के प्रधानाध्यापक स्वामी तपहरणनंद ने बताया कि हमारे इतिहास विभाग के शिक्षक ने इस प्रश्नपत्र को तैयार किया है। उनका कोई गलत इरादा नहीं है बल्कि इतिहास में इस तरह की बातें कही गई हैं इसीलिए यह प्रश्न शामिल किया गया है। इसके पहले भी इस तरह के प्रश्नपत्र तैयार किए गए हैं, जिसमें ऐसे प्रश्नों को उन्होंने देखा है। इसमें केवल इतिहास के एक तथ्य को रखा गया है। इरादा कहीं गलत नहीं था।