PM Modi: भारत वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए समाधान ढूंढ रहा है: प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि और खाद्यान्न के बारे में प्राचीन भारतीय मान्यताओं और अनुभवों की दीर्घायु पर जोर दिया।

121

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने शनिवार (3 अगस्त) नई दिल्ली (New Delhi) स्थित राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केन्द्र परिसर (National Agricultural Science Centre Campus) में कृषि अर्थशास्त्रियों (Agricultural Economists) के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (International Conference) का उद्घाटन करते हुए उपस्थित जनसमूह को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि भारत वैश्विक खाद्य एवं पोषण सुरक्षा के लिए समाधान ढूंढ रहा है। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि कृषि अर्थशास्त्रियों का अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन 65 वर्षों के बाद भारत में हो रहा है। सम्मेलन का उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण, बढ़ती उत्पादन लागत और संघर्ष जैसी वैश्विक चुनौतियों के मद्देनजर टिकाऊ कृषि की तत्काल आवश्यकता से निपटना है। सम्मेलन में लगभग 75 देशों के लगभग 1,000 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने कृषि और खाद्यान्न के बारे में प्राचीन भारतीय मान्यताओं और अनुभवों की दीर्घायु पर जोर दिया। उन्होंने भारतीय कृषि परंपरा में विज्ञान और तर्क को दी गई प्राथमिकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने खाद्यान्न के औषधीय गुणों के पीछे संपूर्ण विज्ञान के अस्तित्व का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने सरदार वल्लभभाई पटेल को याद करते हुए कहा कि उन्होंने किसानों के उत्थान में योगदान दिया। भारत में कृषि नियोजन में सभी छह मौसमों की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए, प्रधानमंत्री ने 15 कृषि-जलवायु क्षेत्रों के विशिष्ट गुणों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि देश में लगभग सौ किलोमीटर की यात्रा करने पर कृषि उपज बदल जाती है। प्रधानमंत्री ने कहा, “चाहे वह भूमि पर खेती हो, हिमालय, रेगिस्तान, जल-विहीन क्षेत्र या तटीय क्षेत्र, यह विविधता वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है और भारत को दुनिया में आशा की किरण बनाती है।”

यह भी पढ़ें – Delhi: हाई कोर्ट ने दिल्ली सरकार को लगाई फटकार, क्या तिहाड़ जेल में होगी कैबिनेट मीटिंग?

65 साल पहले भारत में हुए कृषि अर्थशास्त्रियों के अंतिम अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को याद करते हुए, प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि उस समय भारत एक नया-नया स्वतंत्र राष्ट्र था, जिसने भारत की खाद्य सुरक्षा और कृषि के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय बनाया। प्रधानमंत्री ने कहा, आज भारत एक खाद्य अधिशेष देश है, दूध, दालों और मसालों का सबसे बड़ा उत्पादक है और खाद्यान्न, फल, सब्जियां, कपास, चीनी, चाय और खेती की गई मछली का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। उन्होंने उस समय को याद किया जब भारत की खाद्य सुरक्षा दुनिया के लिए चिंता का विषय थी, जबकि आज, भारत वैश्विक खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए समाधान प्रदान कर रहा है। इसलिए, प्रधानमंत्री ने कहा कि खाद्य प्रणाली परिवर्तन पर चर्चा के लिए भारत का अनुभव मूल्यवान है और इससे वैश्विक दक्षिण को लाभ होना निश्चित है।

पीएम मोदी ने ‘विश्व बंधु’ के रूप में वैश्विक कल्याण के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने वैश्विक कल्याण के लिए भारत के दृष्टिकोण को याद किया और ‘एक पृथ्वी, एक परिवार और एक भविष्य’, ‘मिशन लाइफ’ और ‘एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य’ सहित विभिन्न मंचों पर भारत द्वारा प्रस्तुत किए गए विभिन्न मंत्रों का उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि भारत की आर्थिक नीतियों के केंद्र में है। उन्होंने कहा कि भारत के 90 प्रतिशत छोटे किसान, जिनके पास बहुत कम जमीन है, भारत की खाद्य सुरक्षा की सबसे बड़ी ताकत हैं।

उन्होंने इस वर्ष के बजट में टिकाऊ और जलवायु-अनुकूल खेती पर विशेष ध्यान दिए जाने के साथ-साथ भारत के किसानों को सहायता देने के लिए एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने का भी उल्लेख किया। प्रधानमंत्री ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में किसानों को लगभग उन्नीस सौ नई जलवायु-अनुकूल किस्में सौंपी गई हैं। उन्होंने भारत में चावल की उन किस्मों का उदाहरण दिया, जिन्हें पारंपरिक किस्मों की तुलना में 25 प्रतिशत कम पानी की आवश्यकता होती है और काले चावल के सुपरफूड के रूप में उभरने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, “मणिपुर, असम और मेघालय का काला चावल अपने औषधीय गुणों के कारण पसंदीदा विकल्प है”, उन्होंने कहा कि भारत अपने संबंधित अनुभवों को विश्व समुदाय के साथ साझा करने के लिए भी उतना ही उत्सुक है।

प्रधानमंत्री ने जल की कमी और जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ पोषण चुनौती की गंभीरता को भी स्वीकार किया। उन्होंने श्री अन्न, मोटा अनाज (मिलेट) को सुपरफूड की ‘न्यूनतम पानी और अधिकतम उत्पादन’ की गुणवत्ता को देखते हुए समाधान के रूप में प्रस्तुत किया। मोदी ने भारत के मोटा अनाज को दुनिया के साथ साझा करने की भारत की इच्छा व्यक्त की और पिछले वर्ष को अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष के रूप में मनाए जाने का उल्लेख किया। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान, नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद, सम्मेलन के अध्यक्ष प्रोफेसर मतीन कायम और डेयर के सचिव एवं आईसीएआर के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक प्रमुख रूप से उपस्थित रहे। (PM Modi)

देखें यह वीडियो – 

Join Our WhatsApp Community
Get The Latest News!
Don’t miss our top stories and need-to-know news everyday in your inbox.