भारत AI में दुनिया का अग्रणी देश बनेगा – पीयूष गोयल

गोयल ने बदलाव लाने वाली प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से एआई को अपनाने के संबंध में भारत की प्रतिबद्धता की बात दोहराई। उन्होंने प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने और जीवन को बेहतर बनाने के लिए एआई को अपनाया जाना चाहिए।

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फाइल चित्र

केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) ने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता ((आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एआई) गरीबी से लड़ने, दूरदराज के क्षेत्रों में वस्तुओं और सेवाओं का वितरण करने और भविष्य के लिए कार्यबल को फिर से कुशल बनाने का एक शक्तिशाली उपकरण है। यह बात मंत्री ने नई दिल्ली में आयोजित ‘स्लश’डी’ के पहले सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान कही।

जीवन को बेहतर बनाने के लिए एआई को अपनाया जाना चाहिए
गोयल ने बदलाव लाने वाली प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से एआई (AI) को अपनाने के संबंध में भारत (India) की प्रतिबद्धता की बात दोहराई। उन्होंने प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने और जीवन को बेहतर बनाने के लिए एआई को अपनाया जाना चाहिए। मंत्री ने एआई में दुनिया में अग्रणी देश के रूप में भारत की भूमिका और अंतरराष्ट्रीय स्टार्टअप इकोसिस्टम (international startup ecosystem) में देश की बढ़ती मान्यता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि भारत की ताकत इसकी बड़ी युवा आबादी, विशाल डेटा संसाधन और उद्यमिता संस्कृति में निहित है।

एआई के प्रति देश का उत्साह बरकरार
मंत्री ने भारतीय स्टार्टअप को महत्वाकांक्षी होने, नवाचार का स्वागत करने और आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने उल्लेख किया कि हालांकि भारत को कुछ और करने की जरूरत है, लेकिन एआई के प्रति देश का उत्साह बरकरार है। उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास के लिए एआई का लाभ उठाने में नवाचार और पुन: कौशल के प्रति कटिबद्धता में भारत का भविष्य निहित है।

खुली बहस, संवाद और चर्चा के महत्व पर जोर
उन्होंने भारत की विविधता पर प्रकाश डाला और देश का संदर्भ “तर्कशील भारतीयों” के रूप में दिया, जो विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं और भारत की ताकत में योगदान देते हैं। पीयूष गोयल ने खुली बहस, संवाद और चर्चा के महत्व पर जोर दिया, जो भारतीय संस्कृति में गहराई से निहित है। उन्होंने कहा कि जानकारी प्राप्त करने की इस भावना और सुधार की निरंतर खोज ने भारत के स्टार्टअप अभियान और उद्यमशीलता की सोच को बढ़ावा दिया है, जो यहाँ सदियों से मौजूद रही है।

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