भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) ने चालू वित्त वर्ष की शानदार शुरुआत की है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पहली तिमाही के दौरान भारत (India) की अर्थव्यवस्था (Current Financial Year) ने 7.8 फीसदी की विकास दर दर्ज की है। यह दुनिया की किसी भी बड़ी अर्थव्यवस्था (Economy) की तुलना में सबसे तेज विकास दर है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय ने गुरुवार शाम को पहली तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी किए। सरकारी खर्च की होड़, मजबूत उपभोक्ता मांग और सेवा क्षेत्र में उच्च गतिविधि जैसे कारकों ने पहली तिमाही के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को मदद की। इससे पहले कोर सेक्टर के आंकड़े जारी किए गए थे, जिसके मुताबिक जुलाई में कोर सेक्टर की विकास दर घटकर 8 फीसदी पर आ गई, जो एक महीने पहले जून में 8.3 फीसदी थी।
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एनएसओ के आंकड़ों के मुताबिक, एक साल पहले इसी तिमाही यानी जून 2022 तिमाही में भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट 13.1 फीसदी थी। इसकी तुलना में इस साल विकास दर प्रभावित हुई है। पहली तिमाही के दौरान कृषि क्षेत्र में 3.5 फीसदी की वृद्धि दर दर्ज की गई, जबकि निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 7.9 फीसदी रही। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने निराश किया, जिसकी विकास दर घटकर 4.7 फीसदी रह गई।
आरबीआई का पूर्वानुमान
सभी विश्लेषकों को उम्मीद थी कि जून तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन अच्छा रहेगा। भारतीय रिजर्व बैंक ने पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। इसका मतलब है कि पहली तिमाही में विकास दर रिजर्व बैंक के अनुमान से थोड़ी कम रही है। रिजर्व बैंक के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की चार तिमाहियों में देश की आर्थिक विकास दर क्रमश: 8 फीसदी, 6.5 फीसदी, 6 फीसदी और 5.7 फीसदी रह सकती है। इस तरह आरबीआई ने पूरे चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5 फीसदी की विकास दर का अनुमान लगाया है।
कई एजेंसियों ने अनुमान बढ़ाया
हाल ही में कई एजेंसियों ने भारत की विकास दर के अनुमान को संशोधित किया है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पहले 2023 के लिए विकास दर 5.9 प्रतिशत होने का अनुमान लगाया था, जिसे बाद में संशोधित कर 6.1 प्रतिशत कर दिया गया। आईएमएफ ने 2024 में विकास दर 6.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। फिच रेटिंग्स ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए विकास दर का अनुमान भी 6 फीसदी से बढ़ाकर 6.3 फीसदी कर दिया है।
पिछले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा 6.4 फीसदी था
चालू वित्त वर्ष 2023-24 के बजट में सरकार ने राजकोषीय घाटे को कम कर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 5.9 फीसदी पर लाने का अनुमान लगाया था। पिछले वित्त वर्ष (2022-23) में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.4 फीसदी था, जबकि शुरुआती अनुमान 6.71 फीसदी था। सरकार की आय और व्यय के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। यह सरकार द्वारा आवश्यक कुल उधारी का एक संकेत है। चालू वित्त वर्ष के पहले 4 महीनों में केंद्र सरकार के राजस्व-व्यय के आंकड़ों का ब्योरा देते हुए लेखा महानियंत्रक ने कहा कि इस दौरान शुद्ध कर राजस्व 5.83 लाख करोड़ रुपये रहा, जो कि 25 फीसदी था। पूरे वित्तीय वर्ष के लिए बजट अनुमान।
भारत सबसे आगे बना हुआ है
इस अच्छे प्रदर्शन के साथ, भारत वैश्विक विकास का इंजन बना हुआ है और सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। अन्य प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के प्रदर्शन पर नजर डालें तो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका जून तिमाही के दौरान 2.1 फीसदी की दर से बढ़ी। यह दर तिमाही आधार पर है। वहीं, दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन ने जून तिमाही के दौरान एक साल पहले की तुलना में 6.3 फीसदी की विकास दर दर्ज की।
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