भारत-नेपाल सीमा पर तस्करों की खैर नहीं, तीन वर्ष में 750 करोड़ की नशीली दवाएं बरामद

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 जिले में नशीली दवाओं का कारोबार तीन-चार दशक पहले सिसवा बाजार से शुरू हुआ। इस समय यह कारोबार पूरे जिले में पड़ोसी देश नेपाल में मांग बढ़ने के कारण कई सौ करोड़ रुपये में फलने फूलने लगा है। इसे रोकने में ड्रग विभाग असफल साबित हो रही है। हालांकि महाराजगंज पुलिस और जिला प्रशासन ने ड्रग विभाग के सहयोग से इसके समूल नाश का मन बना लिया है। पिछले तीन साल में 750 करोड़ की नशीली दवाएं बरामद की हैं।

सुरक्षा एजेंसियों की सक्षमता से बरामदगी
13 अगस्त 2019 को सोनौली सीमा पर क्षेत्र में 22 लाख की नशीली दवाओं का जखीरा एक मकान से बरामद हुआ था। मुख्य अभियुक्त नफीस सहित तीन लोग गिरफ्तार हुए थे। 06 फरवरी 2021 को सोनौली के सुकरौली टोली में 17 गत्ते में चार लाख रुपये मूल्य की नशे की दवा एक घर में रखी हुई बरामद हुई थी। 07 फरवरी 2021 को सोनौली बॉर्डर से पूरब तरफ भगवानपुर में 350 पीस न्यूफिन, 350 पीस डायजेपाम टैबलेट, 35 हजार 20 इंजेक्शन सहित एक नेपाली महिला को गिरफ्तार कराने में सफलता मिली थी। इसके पास से लगभग दो लाख रुपये कीमती अवैध दवाओं का ज़खीरा बरामद हुआ था। बावजूद इसके नशीली दवाओं के इस अवैध कारोबार पर अंकुश नहीं लग सका। न ही इसके क्रम होने की ही बात स्वीकारी जा सकती है। इस वजह से यह सिलसिला अब भी बदस्तूर जारी है। जैसे जैसे साल बीत रहे हैं वैसे वैसे इन नशीली दवाओं का कारोबार भी अपना पांव पसार रहा है।

इधर, 28 फरवरी 2021 को कोल्हुई थाना क्षेत्र के गुलरिया गांव में अवैध रूप से चल रहे मेडिकल स्टोर से प्रतिबंधित दवाएं बरामद हुई, तो प्रशासनिक अमला में खलबली मच गई थी। इसके बाद 03 अगस्त 2021 को जमुई कला से गांव के एक गोदाम पर एसडीएम निचलौल ने छापा मारा। यहां भी लगभग 686 करोड रुपये की प्रतिबंधित और नशीली दवाएं बरामद हुई। एक तस्कर को मौके से गिरफ्तार किया गया। 24 जुलाई 2022 कोठीभार थाना क्षेत्र के एक गोदाम से सौ गत्ते में नशीली और प्रतिबंधित दवाओं का ज़खीरा बरामद हुआ। इसकी कीमत लगभग 25 लाख रुपये आंकी गई थी। इन बरामद दवाओं में ज्यादातर डायजेपाम, न्यूफिन और सिरप, कोल्डड्रिन, कोरेक्स, एल्कोहल, टैक्सिवीन, अल्प्राजोलम, नाइटाजापाम आदि शामिल थे। इन्हें तस्करी कर नेपाल ले जाने की तैयारी थी। बताया जाता है कि नेपाल के अधिकांश युवा नशे के लिए इन दवाओं का हर रोज सेवन करते हैं।

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महाराजगंज जिले के नेपाल से लगी 85 किलोमीटर की खुली सीमा पर सुरक्षाबल मुस्तैद है, लेकिन अगल बगल के गांव के युवक इनके गश्त के बाद भी नशीली दवाओं की खेप को आसानी से नेपाल में पहुंचा रहे हैं। इतना ही नहीं, इन नशीली दवाओं की खेप पकड़े जाने पर स्थानीय राजनीति में हलचल बढ़ जाती है। सिसवा बाजार में 24 जुलाई को पकड़ी गई 25 लाख रुपये की नशीली दवाओं को लेकर एक दल के अनुसूचित मोर्चा के जिला अध्यक्ष ने नशीली दवाओं के सप्लाई करने में सिसवा बाजार से लेकर अहमदाबाद इंडस्ट्रियल स्टेट तक एक स्थानीय कारोबारी का हाथ होने का आरोप लगाया था। इसके बाद स्थानीय राजनीति में सरगर्मी बढ़ गई थी, हालांकि अन्य दलों के नेता खुलकर कुछ भी बोलने से परहेज कर रहे थे। इधर, इस घटना के बाद मामले पर गंभीर हुए गोरखपुर के कमिश्नर रवि कुमार एन. जी ने सिसवा बाजार स्थित सभी मेडिकल स्टोरों की जांच के आदेश दिए थे। इसके अलावा पुलिस अधीक्षक डॉ कौस्तुभ के चलाए गए मिशन बार्डर विजन ने भी इस दिशा में सफलता दिलाई है।

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