इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष तेज होता दिख रहा है। दोनों ओर से आक्रमण जारी है। इसके साथ ही इजरायल के राष्ट्रपति बेंजामिन नेतन्याहू ने अपनी मंशा भी जाहिर कर दी है। उन्होंने कहा है कि अभी हमारा अभियान और बढ़ेगा। इस बार फिलिस्तीन को कड़ा संदेश देना जरुरी है। इस बीच दोनों ओर से की जा रही कार्रवाई में बच्चों और महिलाओं समेत सैकड़ों लोगों की जान चली गई है।
दोनों पक्षों के बीच जारी इस खूनी संघर्ष ने विश्व भर के देशों का ध्यान आकर्षित किया है। कई देशों ने दोनों ही पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। इस संघर्ष के बाद विश्व भर के देश बंटने लगे हैं। इनमें कई देश खुलकर सामने आ गए हैं, जबकि ज्यादातर देश अपने वैश्विक हितों को देखते हुए परोक्ष रुप से किसी न किसी पक्ष का समर्थन कर रहे हैं।
इजरायल के साथ अमेरिका
अमेरिका ने इजरायल का खुलकर समर्थन किया है। राष्ट्रपति जो बाइडेन ने संघर्ष की शुरुआत में ही कहा था कि हर देश को आत्म रक्षा करने का अधिकार है। यह बात जग जाहिर है कि अमेरिका और इजरायल में पुरानी दोस्ती है और इनके बीच काफी निकटता है। इसलिए उसका इजरायल के समर्थन में खड़ा रहना कोई हैरानी की बात नहीं है। हालांकि राजनयिक स्तर पर उसने संघर्ष विराम की कोशिश शुरू कर दी है। बाइडेन ने दो देशों के बीच के विवाद के हल करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई है।
ये देश भी इजरायल के साथ
अमेरिका के साथ ही ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी भी इजरायल के समर्थन में खड़े हैं। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने अपने देश में इजरायल के हमलों के विरोध में प्रदर्शन शुरू होने के बाद कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने कहा है कि हमारे समाज में कट्टरता के लिए कोई जगह नहीं है। मैं ब्रिटेन के यहूदियों के साथ खड़ा हूं।
फ्रांस
फ्रांस में भी फिलिस्तीनियों के समर्थन में मार्च का सरकार पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। पहले से कट्टरपंथियों से परेशान फ्रांस ने देश में कट्टरपंथी मुसलमानों के विरोध प्रदर्शन पर पाबंदी लगा रखी है। इस कारण प्रदर्शकारियों और पुलिस में झड़प बढ़ गई है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो ने इजरायल में आत्मरक्षा में उठाए गए कदम को सही ठहराया है। हालांकि उन्होंने इजरायल और फिलिस्तीन दोनों से ही शांति बरतने की अपील की है।
जर्मनी के साथ ही 25 देशों का इजरायल को समर्थन
जर्मनी भी इजरायल के समर्थन में खुलकर खड़ा है। इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया, एलबेनिया, कोलंबिया, साइप्रस, जॉर्जिया, हंगरी, इटली, स्लोवेनिया और यूक्रेन समेत 25 देशों ने इजरायल का खुले तौर पर समर्थन किया है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मौरिसन ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील करते हुए इजरायल को आत्मरक्षा में उठाए गए कदम का समर्थन किया है। लेकिन इसके साथ ही उन्होंने फिलिस्तीनियों की सुरक्षा को लेकर भी अपनी चिंता प्रकट की है। इसके लिए इजरायल के राष्ट्रपति नेतन्याहू ने उनके प्रति अपना आभार जताया है।
मुस्लिम देशों का फिलिस्तीन को खुला समर्थन
दूसरी ओर दुनिया के सभी इस्लामिक देशों ने फिलिस्तीन को अपना समर्थन दिया है। लेकिन खुलकर सामने आनेवाले देशों में सऊदी अरब, तुर्की, पाकिस्तान, कुवैत और खाड़ी के कई देश शामिल हैं।
- तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने एक कदम आगे बढ़कर इजरायल को सख्त लहजे में चेतावनी तक डे डाली है। उन्होंने कहा,’अगर पूरा विश्व भी चुप रहे तो भी तुर्की फिलिस्तीनियों के समर्थन में अपनी आवाज उठाता रहेगा। उन्होंने इजरायल पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
- सऊदी अरब के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर फिलिस्तीनियों को अपना समर्थन दिया है। उसने फिलिस्तीन में किसी भी तरह के इजरायल के कब्जे का विरोध किया है और उसे खत्म करने की मांग की है
- ईरान ने संयुक्त राष्ट्र और इस्लामिक देशों से इजरायल को फिलिस्तीन पर हमले को रोकने की मांग की है।
- पाकिस्तान स्वाभाविक रुप से फिलिस्तीन के साथ खड़ा है और उसने फिलिस्तीनियों पर इजरायल के हमले का उग्र आलोचना की है।
इन देशों ने अपनाया है बीच का रास्ता
- फिलिस्तीन और इजरायल के बीच जारी खूनी संघर्ष के बीच कुछ ऐसे भी देश हैं, जिन्होंने बीच का रास्ता अपनाया है।
- भारत भले ही कुटनैतिक तौर पर इजरायल के साथ है लेकिन उसने इस सघर्ष में न तो खुलकर किसी का समर्थन किया है और न विरोध किया है। दोनों से अच्छे संबंध होने के कारण उसने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।
- रुस ने किसी का भी पक्ष न लेते हुए अपनी सुरक्षा पर चिंता जताई है। रुस ने कहा है कि दोनों पक्षों के बीच संघर्ष के कारण उसकी सुरक्षा को खतरा पैदा हो रहा है।
- चीन ने इजरायल-फिलिस्तीन के बीच जारी खूनी संघर्ष की आड़ में अमेरिका पर निशाना साधा है।