जम्मू कश्मीर में बर्खास्त हुए आंतक के वे स्लीपर सेल… ऐसा है आरोप

जम्मू कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश में सरकारी विभागों में कई ऐसे कर्मचारियों की जानकारी मिलती रही हैं जो आतंकी संगठनों के लिए ओवर द ग्राउंड वर्कर के रूप में काम कर रहे थे। ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने का निर्णय सरकार ने कुछ महीने पहले ही लिया है।

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जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी करनेवाले छह लोगों को नैकरी से बर्खास्त कर दिया गया है। इनकी जांच चल रही थी जिसमें पाया गया कि ये आतंकी संगठनों के स्लीपर सेल (ग्राउंड वर्कर) के रूप में कार्य कर रहे थे। इन लोगों के विरुद्ध जम्मू कश्मीर की नामित समिति ने अनुच्छेद 311(2)(सी) के अंतर्गत आतंकियों से संबंधों रखने का आरोप है।

ये हैं वो 6 खलनायक

  • हमीद वानी – अनंतनाग में सरकारी स्कूल के अध्यापक
    आरोप – आतंकी संगठन अल्लाह टाइगर का पूर्व जिला कमांडर,
    जमात ए इस्लामी के सहयोग से मिली नौकरी,
    बुरहान वानी के एन्काउंटर के बाद देश विरोध गतिविधियों का नेतृत्व
  • जफर हुसैन भट्ट – जम्मू कश्मीर पुलिस में कांस्टेबल
    आरोप – आर्म्स ऐक्ट में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने किया गिरफ्तार,
    हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकियों का सहायक
  • मोहम्मद रफी – रोड एंड बिल्डिंग विभाग में जूनियर इंजीनियर
    आरोप – हिजबुल मुजाहिद्दीन के अतंकियों को आश्रय देना,
    नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने किया थी गिरफ्तार, अब जमानत पर
  • लियाकत अली ककरू – बारामुला में अध्यापक
    आरोप – वर्ष 2021 में बरामद हुए ग्रेनेड, पूर्व में था प्रशिक्षित आतंकी, बरामद हुए थे विस्फोटक, 2001 में हुआ था गिरफ्तार। 2002 में हथियार और गोला बारूद बरामद, पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत कार्रवाई भी हुई।
  • तारिक मोहम्मद कोहली – पुंछ का रहनेवाला तारिक जम्मू कश्मीर वन विभाग का रेंज ऑफिसर है
    आरोप – विभिन्न आतंकी संगठनों के लिए ओवर ग्राउंड वर्कर, हथियार,
    विस्फोटक और करेंसी की तस्करी में भूमिका
  • शौकत अहमद खान – जम्मू कश्मीर पुलिस मे कांस्टेबल
    आरोप – जम्मू कश्मीर के विधान परिषद सदस्य के घर से हथियार की लूट में संलिप्तता,
    2019 में पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत गिरफ्तार

क्या कहता है कानून?
अनुच्छेद 311(2) के अनुसार किसी भी सरकारी अधिकारी की बर्खास्तगी, हटाना या पद से अवनति नहीं की जा सकती। लेकिन जांच के बाद ऐसा संभव है। इस कानून का सब सेक्शन (सी) कहता है, यह वहां लागू नहीं होगा जहां राष्ट्रपति या राज्यपाल इससे संतुष्ट हों कि राज्य की सुरक्षा को देखते हुए ऐसी किसी जांच की आवश्यकता नहीं है।

स्पेशल टास्क फोर्स का गठन
राज्य प्रशासन ने स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया था। जिसका नेतृत्व राज्य पुलिस के महानिदेशक कर रहे थे। इसके अलावा इसमें सीआईडी, आईजी रैंक के अधिकारी, राज्य कानून व न्याय विभाग के अधिकारी हैं। इन्होंने सभी संशयित कर्मचारियों के प्रकरणों की जांच करके अपनी रिपोर्ट सौंपी है।

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