वडगाम से विधायक जिग्नेश मेवाणी को तीन महीने की सजा हुई है। यह सजा महेसाणा जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट ने सुनाई है। उन पर बिना अनुमति के रैली करने का आरोप है। यह प्रकरण जुलाई 2017 का है। दोषी पाए जाने के बाद अब विधायक पद के जाने को लेकर चर्चा शुरू हो गई है।
वर्ष 2017 में जिग्नेश मेवाणी ने बिना अनुमति के एक रैली की थी। इस संबंध में पुलिस ने मामला दर्ज किया। गुरुवार को मेहसाणा ए डिवीजन कोर्ट ने इस मामले में राकांपा नेता रेशमा पटेल और विधायक जिग्नेश मेवाणी समेत सभी 12 आरोपितों को तीन महीने जेल की सजा सुनाई। कोर्ट ने एक हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
आंदोलन करना अपराध नहीं है, बल्कि बिना अनुमति के आंदोलन करना अपराध है।
स्थानीय न्यायालय
आजादी मार्च का किया था आयोजन
जुलाई 2017 में जिग्नेश मेवाणी के सहयोगियों ने बनासकांठा के धनेरा में एक रैली का आयोजन किया था। यह उना में दलित की पिटाई के एक वर्ष पूरा होने के बाद आयोजित किया गया था। जिसकी अनुमति प्रशासन ने ठुकरा दी थी। परंतु, जिग्नेश मेवाणी ने अपने समर्थकों के साथ वह रैली की थी।
इस मामले में राकांपा नेता रेशमा पटेल ने कहा कि हम कोर्ट के आदेश का सम्मान करते हैं लेकिन, भाजपा शासन में लोगों के लिए न्याय मांगना भी एक अपराध है। भाजपा कानून का डर दिखाकर हमारी आवाज को दबा नहीं सकती। हम लोगों को न्याय दिलाने के लिए हमेशा संघर्ष करेंगे।
क्या जाएगी कुर्सी
जिग्नेश मेवाणी निर्दलीय विधायक हैं। अब दोषी करार दिये जाने के बाद क्या उनकी विधायकी भी चली जाएगी, इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है। हालांकि, उनके पास वरिष्ठ न्यायालय में सजा को चुनौती देने का पर्याय है। वैसे, इस सजा में जिग्नेश को तत्काल जमानत भी मिल जाएगी। इसके कारण है कि, तीन वर्ष से कम की सजा पर कोर्ट से ही जमानत मिल जाती है, जिससे दोषी व्यक्ति आदेश को चुनौती दे सके।