स्कूलों (Schools) का वेतन पोर्टल (Salary Portal) फिर से खोला गया। इसमें सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा रद्द किए गए लगभग 26 हजार शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों के नाम अब भी पोर्टल की सूची में शामिल हैं। इससे जहां कुछ हद तक बर्खास्त शिक्षकों (Dismissed Teachers) को राहत मिली है, वहीं वेतन मिलने को लेकर संदेह बना हुआ है।
पिछले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने स्कूल सर्विस कमीशन भर्ती घोटाले में लगभग 25 हजार 735 भर्तियों को रद्द कर दिया था। इस फैसले के बाद राज्यभर में बर्खास्त शिक्षक लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। कोर्ट के इस आदेश के बाद स्कूलों का वेतन पोर्टल अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया था। अब बुधवार देर शाम इसके फिर से चालू होने पर देखा गया कि बीते महीने जैसी ही सूची बनी हुई है, जिसमें रद्द किए गए शिक्षकों के नाम भी बने हुए हैं।
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हालांकि, शिक्षक समाज में चिंता अब भी बनी हुई है। एक शिक्षक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पोर्टल पर नाम बने रहना राहत जरूर है, लेकिन जब तक बैंक खाते में वेतन नहीं पहुंचता, यकीन नहीं होगा।
प्रिंसिपल्स का कहना है कि वे पोर्टल पर किसी भी शिक्षक का नाम जोड़ने या हटाने के लिए अधिकृत नहीं हैं। वे केवल आयकर या प्रॉविडेंट फंड संबंधी बदलाव दर्ज कर सकते हैं। इसका मतलब है कि शिक्षकों की अंतिम स्थिति को लेकर निर्णय राज्य सरकार और मध्यशिक्षा परिषद के स्तर पर ही लिया जा सकता है।
दरअसल बर्खास्त शिक्षकों के वेतन को लेकर पश्चिम बंगाल मध्यशिक्षा परिषद पहले ही सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर चुका है। इस बीच, राज्य के शिक्षा मंत्री ब्रात्य बसु ने कहा है कि कानूनी विकल्पों पर काम किया जा रहा है ताकि योग्य और सेवा दे चुके शिक्षकों को न्याय मिल सके। हालांकि, उन्होंने स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया कि बर्खास्त शिक्षकों को इस महीने वेतन मिलेगा या नहीं।
इस बीच, कोलकाता सहित राज्य के विभिन्न जिलों में बर्खास्त शिक्षक प्रदर्शन कर रहे हैं। वे अपने आप को ‘योग्य’ करार देते हुए तृणमूल सरकार और शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं। उनका कहना है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, वे पीछे नहीं हटेंगे।
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