एलगार परिषद मामले में 17 अक्टूबर को बॉम्बे हाई कोर्ट ने आरोपित ज्योति जगताप की जमानत याचिका खारिज कर दी है। उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एएस गडकरी और एमएन जाधव की खंडपीठ ने कहा कि हमारी राय है कि एनआईए का मामला प्रथम दृष्टया सही है। इसलिए अपील खारिज की जाती है।
दरअसल, आरोपित 34 वर्षीय ज्योति जगताप ने उच्च न्यायालय में जमानत के लिए याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में मुंबई की विशेष कोर्ट के निर्णय को चुनौती देने के साथ आवेदक को जमानत देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया था कि उनका नक्सली गतिविधि से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद भी उन्हें विशेष कोर्ट ने जमानत नहीं दी गई है। सुनवाई के दौरान नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) के वकील ने ज्योति जगताप की याचिका का विरोध किया। एनआईए के वकील ने बताया कि ज्योति जगताप शहरी क्षेत्रों में प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) की गतिविधियों को फैला रही थीं और उसने 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एलगार परिषद सम्मेलन में दलितों को लामबंद करने के लिए काम किया था। इसके बाद दोनों पक्षों की जिरह सुनने के बाद हाई कोर्ट ने ज्योति जगताप की जमानत याचिका को खारिज कर दिया। ज्योति को सितंबर 2020 में इस मामले में गिरफ्तार किया गया था और तब से वह मुंबई की भायखला महिला जेल में बंद हैं।
प्रकरण एनआईए को सौंपा
एनआईए के अनुसार 31 दिसंबर, 2017 को एलगार परिषद के सम्मेलन में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिए गए थे, जिसके बाद 1 जनवरी, 2018 को महाराष्ट्र के पुणे जिले के कोरेगांव-भीमा में हिंसा हुई थी। इस मामले की जांच पुणे पुलिस ने दर्ज किया था, बाद में राज्य सरकार ने इस मामले को एनआईए को सौंप दिया था। इस मामले में गिरफ्तार किए गए 16 लोगों में से फादर स्टेन स्वामी की पिछले साल यहां एक निजी अस्पताल में न्यायिक हिरासत में मौत हो गई थी। दो अन्य आरोपित सुधा भारद्वाज और वरवर राव जमानत पर बाहर हैं, जबकि अन्य अभी भी जेल में हैं।