उदयपुर में एक हिंदू दर्जी की हत्या करने वाले दो मुसलमानों के खिलाफ पूरे देश में भयंकर गुस्सा है। भारत की जनता को सलाम कि उसने प्रतिहिंसा का रास्ता अख्तियार नहीं किया। अनेक प्रमुख हिंदू और मुसलमान नेताओं ने कड़े शब्दों में इस हत्याकांड की भर्त्सना की है। कई आतिवादी समझे जाने वाले मुस्लिम नेताओं ने उन दोनों हत्यारों को कठोरतम दंड देने की मांग की है। उन दोनों हत्यारों को उन्होंने इंसान नहीं, शैतान बताया है। यह भी ध्यातव्य है कि अनेक उग्र हिंदूवादी नेताओं ने भी इस मौके पर विलक्षण संयम का परिचय दिया है।
इस हत्याकांड ने सारी दुनिया में इस्लाम को तो कलंकित कर दिया है लेकिन भारत की सहनशीलता की छवि सबके हृदय पर अंकित कर दी है। अनेक पश्चिमी और पूर्वी दुनिया के देशों से मेरे मित्रों के फोन आए। उनमें हिंदू, मुसलमान, ईसाई, बौद्ध और यहूदी सभी शामिल हैं। सब ने एक स्वर में इस हत्याकांड की निंदा की है। अरब देशों के कुछ मुस्लिम मित्रों ने मुझे बताया कि जो घृणित काम उदयपुर में हुआ है, उसकी अनुमति किसी मुस्लिम देश में भी नहीं है। इस्लाम में इस तरह का जघन्य अपराध करने की इजाजत किसी भी शख्स को नहीं है। इन दोनों हत्यारों का संबंध सउदी अरब और पाकिस्तान से भी बताया जा रहा है।
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दोनों हत्यारे इन देशों में जाकर रहे हैं और वहां उन्होंने दावते-इस्लाम और तहरीके-लबायक जैसे उग्रवादी संगठनों से भी सांठ-गांठ की है। इस मामले में सच्चाई क्या है, यह तो जांच से आगे-आगे पता चलेगा लेकिन इस घटना से भारत और सभी मुस्लिम देशों को यह सबक क्यों नहीं लेना चाहिए कि उन सब संस्थाओं और संगठनों से अपने देशों को मुक्त करें, जो मजहब के नाम पर इतने जघन्य अपराधों के लिए लोगों को प्रेरित करते हैं। इसी संदर्भ में सभी मदरसों पर भी प्रबुद्ध मुसलमानो को कड़ा नियंत्रण रखना होगा। सभी धर्मों के सर्वोच्च अधिकारियों को या तो अपने-अपने धर्मग्रंथों की ऐसी बातों को छांट देना चाहिए, जो देश और काल के विपरीत हो गई हैं या उनकी व्याख्या इस तरह से करनी चाहिए कि जो देश और काल के अनुकूल हो।
जहां तक हमारे राजनीतिक नेताओं का सवाल है, उनकी प्रतिक्रिया तो बहुत ही दुखद है। हत्या-पीड़ित परिवार के लिए सहानुभूति व्यक्त करना तो उचित है लेकिन इस हत्याकांड को लेकर नेतागण एक-दूसरे पर जो कीचड़ उछाल रहे हैं, वह बिल्कुल भी उचित नहीं है। हमारे नेता इस घटिया राजनीति का सहारा लेने की बजाय यदि भारत की जनता में धार्मिक, सांप्रदायिक और जातीय सहिष्णुता का भाव प्रोत्साहित करें, ताकि ऐसे हत्याकांडों की पुनरावृत्ति भारत में कभी हो ही नहीं। सभी दलों के नेताओं को ऐसा प्रयत्न क्यों नहीं करना चाहिए कि इस तरह के हत्यारों को, जो अपने कुकर्म के खुद गवाह हैं, और जिन्होंने अपना वीडियो खुद बनाया है, उन्हें हफ्ते-दो-हफ्ते में ही ऐसी सजा दी जाए, जिसे देखकर भावी अपराधियों के रोंगटे खड़े हो जाएं।
डॉ. वेदप्रताप वैदिक
(लेखक, भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष हैं।)